ब्यूरो- उत्तराखंड में पहाडों के विकास की तरफ अब तक सरकारों ने किस कदर नजरें फेरी हुई हैं इसका अंदाजा इस खत से लग जाता है। ये खत साबित करता है कि जब से राज्य बना है तब से सब्बि धाणी देहरादून ही हुआ है और लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी ने तंज कसा है तो कोई बुरा नहीं किया है।
जिन पहाड़ो की खुशहाली के लिए पहाड़ी मां ने अपनी पीठ पर लदा पहाड़ आंदोलन के लिए जमीन पर रख दिया था और तहसील बजारों में अलग राज्य की हुकांर भरी थी उनके हाथ विकास की सौगात से आज भी रीते हैं।
बहरहाल देवप्रयाग के मौजूदा विधायक विनोद कंडारी को प्रेषित कर फेसबुक पर चस्पा किया गया खत वजह बता रहा है कि आखिर देवप्रयाग की जनता हर बार अपना जनप्रतिनिधि क्यों बदलती है और उसकी उम्मीद की कसौटी पर कोई भी खरा नहीं उतर पाता। निराशा और गहराती जाती है।
ये खत जिक्र करता है कि कैसे जनप्रतिनिधि पहाड़ में विकास के भ्रूण को पैदा करते हैं और उसके बाद उसे उसके हाल पर ही छोड देते हैं। उन्हें विकास के अविकसित भ्रूण को गर्भ में लिए फिरते पहाड़ पर जरा भी तरस नहीं आता। उन्हें उसकी याद सिर्फ चुनाव के वक्त आती है। उन्हें उसकी पीड़ा कभी नहीं सताती कि कैसे पहाड़ विकास के अविकसित भ्रूण को अपनी कोख में सालों-साल ढो रहा हैं।
बहरहाल फेसबुक में देवप्रयाग विधानसभा क्षेत्र के सुपाणा-धारी गांव को जोड़ने वाले हल्का मोटर मार्ग की बदहाली का जिक्र किया गया है। बताया गया है जब उत्तराखंड नहीं बना था तब उत्तरप्रदेश के पर्वतीय विकास मंत्री और देवप्रयाग विधानसभा क्षेत्र के विधायक मातबर सिंह कंडारी ने मोटर मार्ग के निर्माण कार्य का शिलान्यास किया था।
लेकिन 20 साल बाद भी सड़क अपने अंजाम पर नहीं पहुंची। न उसके चौड़ी करण का काम हुआ और न ही उसका डामरीकरण। आज तब के मंत्री जी का भतीजा क्षेत्रीय विधायक है ऐसे मे जनता को उम्मीद है कि शायद विधायक साहब इस सड़क को उसके अंजाम पर पहुंचा कर डबल इंजन के विकास के वायदे को पूरा करें।