भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन इसरो का पहला Sun Mission Aditya L-1 अपनी मंजिल के करीब पहुंच गया है। आज शनिवार को आदित्य एल-1 मिशन इतिहास रचेगा। शाम 4 बजे आदित्य एल-1 अपनी कक्षा में स्थापित किया जाएगा। करीब तीन महीन के सफर के बाद आदित्य एल 1 की ऑर्बिट में एंट्री कराने के लिए काउंटडाउन शुरु हो गया है। आखिरी पड़ाव पर पहुंचने के बाद अंतरिक्ष यान बिना किसी ग्रहण के सूर्य को देख सकेगा।
आदित्य एल-1 मिशन का क्या है लक्ष्य
आदित्य एल-1 मिशन का लक्ष्य एल-1 के पास की कक्षा से सूर्य का अध्ययन करना है। यह मिशन सात पेलोड लेकर जा रहा है जो अलग-अलग वेव बैंड में फोटोस्फेयर, क्रोमोस्फेयर और सूर्य की सबसे बाहरी परत पर रिसर्च करने में सूर्य की मदद करेंगे। मिशन का उद्देश्य सूर्य के कोरोना का निरीक्षण करना और पहले सूर्य-पृथ्वी लैग्रेंजियन प्वाइंट के चारों ओर एक प्रभावमंडल कक्षा में इसकी अत्यधिक गर्मी को समझना है, जो पृथ्वी से लगभग 1.5 मिलियन किमी दूर स्थित है। इसरो चीफ ने रिपोर्ट में बताया कि जब आदित्य एल 1 अपने गंतव्य पर पहुंच जाएगा तो यह अगले 5 सालों तक सूर्य पर होने वाली विभिन्न घटनाओं का पता लगाने में मदद करेगा।
Aditya L-1 को लेकर दुनिया में उत्साह
इसरो के इस अभियान को पूरी दुनिया में उत्सुकता से देखा जा रहा है, क्योंकि इसके सात पेलोड सौर घटनाओं का व्यापक अध्ययन करेंगे और वैश्विक वैज्ञानिक समुदाय को डाटा मुहैया कराएंगे, जिससे सूर्य के विकिरण, कणों और चुंबकीय क्षेत्रों का अध्ययन कर पाएंगे। आज शाम आदित्य अपनी मंजिल पर पहुंच जाएगा। थ्रस्टर्स की मदद से आदित्य हेलो ऑर्बिट में स्थापित किया जाएगा, ताकि अलग-अलग कोण से सूर्य को देखा जा सके। एल-1 बिंदु पर रहने से यह पृथ्वी के लगातार संपर्क में रहेगा।