देहरादून: ऐसे कम ही नेता होते हैं, जो निचले पायदान से आगे बढ़कर शिखर तक पहुंचते हैं। राजनीति के फलक पर सितारों की तरह चमकते हैं। कई ऐसे भी होते हैं, जो एक बार शिखर पर पहुंचने के बाद अपनी चमक खो देते हैं। लेकिन, प्रकाश पंत ने अपना सफर नगर पंचायत के सभासद से लेकर सियासत के शिखर तक तय किया। प्रकाश पंत ने केवल शिखर को ही नहीं छुआ, बल्कि उस शिखर पर प्रकाश पुंज की तरह चमकते भी रहे।
सभासद पद से शुरूआत
वाले प्रकाश पंत की राजनीति की शुरुआत नगरपालिका के सभासद से हुई थी। भारतीय जनता युवा मोर्चा, भाजपा के विभिन्न पदों पर रहे। 1998 में उनके राजनीति संघर्ष और समर्पण का फल उनकोयूपी की विधान परिषद के सदस्य चुने के रूप में मिला। राज्य बनने के बाद अंतरिम सरकार के गठन के समय विधानसभा अध्यक्ष बनाए गए। फिर उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।
1960 में हुआ जन्म
1960 को गंगोलीहाट के चोढियार गांव निवासी मोहन चंद्र पंत, माता कमला पंत के घर में जन्मे पंत की शिक्षा पिथौरागढ़ में ही हुई। उन्होंने पिथौरागढ़ के मिशन इंटर कॉलेज से हाईस्कूल और इंटर किया। 1977 में ही राजकीय महाविद्यालय में बीए में पढ़ाई के दौरान सैन्य विज्ञान परिषद के महासचिव रहे।
यूपी में हुआ था जन्म
प्रकाश पंत का जन्म 11 नवंबर 1960 को लखीमपुर खीरी में हुआ था। उनके पिता एसएसबी में कार्यरत थे। प्रकाश पंत का विवाह 26 मई 1989 को पिथौरागढ़ के पांडेगांव निवासी शिक्षिका चंद्रा पंत के साथ हुआ। पंत की नमिता, सुचिता दो बेटियां और एक बेटा सौरभ है। बेटी नमिता सैन्य अधिकारी हैं। सौरभ और सुचिता पढ़ाई कर रहे हैं।
फार्मासिस्ट की नौकरी छोड़ी
1980 में द्वाराहाट के राजकीय पॉलीटेक्निक कॉलेज से फार्मेसी में डिप्लोमा किया। स्वास्थ्य विभाग में बतौर फार्मेसिस्ट तैनात हो गए। वर्ष 1984 में उन्होंने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली। इनका रुझान शुरुआत से ही राजनीति की ओर था।
राजनीतिक सफर
- 1984 में ही भाजपा से जुड़ गए। वर्ष 1985 में भाजपा के जिला महामंत्री का दायित्व संभाला। वर्ष 1989 में पिथौरागढ़ नगरपालिका के सभासद चुने गए। वर्ष 1990 में भाजयुमो के जिलाध्यक्ष रहे। राम मंदिर आंदोलन में भी इनकी सक्रियता रही।
- पंत पर पार्टी ने वर्ष 1998 में बड़ा भरोसा कर कुमाऊं की स्थानीय निकाय सीट से विधान परिषद का उम्मीदवार बना दिया। युवा पंत पार्टी के भरोसे पर खरा उतरते हुए रिकार्ड मतों से विधान परिषद का चुनाव जीता। दो साल बाद वर्ष 2000 का राज्य का गठन हुआ।
- प्रकाश पंत 1977 में छात्र राजनीति में सक्रिय थे। वे सैन्य विज्ञान परिषद में महासचिव, श.स्नातकोत्तर महासचिव पद पर रहे थे।
- साल 1988 में वे नगर पालिक परिषद पिथौरागढ़ में बतौर सदस्य निर्वाचित हुए।
- 1998 विधानसभा उत्तरप्रदेश में सदस्य निर्वाचित हुए।
- साल 2000 में उत्तराखंड राज्य बनने के बाद वे 2001 में प्रथम विधानसभा अध्यक्ष के तौर पर चुने गए।
- 2002 में पंत पिथौरागढ़ विधानसभा से बतौर सदस्य निर्वाचित किए गए।
- 8 मार्च 2007 को वे दूसरी बार जीतकर आए और सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाए गए।