मुख्य न्यायधीश रमेश रंगनाथन एवं न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने हल्द्वानी निवासी नर्स उर्मिला मसीह को तीसरी संतान पर मातृत्व लाभ अधिनियम के तहत लाभ नहीं दिए जाने पर हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका में नियमों का हवाला देते हुए नर्स ने कहा कि सरकार का नियम संविधान के अनुच्छेद-42 के मूल-153 और मातृत्व लाभ अधिनियम की धारा-27 का उल्लंघन करता है। 2018 में एकलपीठ ने इस अधिनियम को अवैधानिक घोषित कर दिया था।
एकलपीठ के इस आदेश को सरकार ने स्पेशल अपील दायर कर चुनौती दी। सरकार की ओर से कहा कि संविधान का अनुच्छेद-42 भाग चार अर्थात नीति निर्देशक तत्वों में शामिल है। इसे लागू करने के लिए याचिका दायर नहीं की जा सकती। मातृत्व लाभ अधिनियम राज्य सरकार के कर्मचारियों पर लागू नहीं होता, जबकि निजी क्षेत्र तथा सरकार की कंपनियों में कार्यरत महिलाओं पर लागू होता है।