देहरादून- पर्दाफाश यात्रा के दूसरे चरण में जिस तरह से कार्यकर्ताओं ने खंडूड़ी के संबोधन को अनसुना कर दिया, उससे कई सवाल खड़े हो रहे है। सवाल ये है कि कौन है जो पूर्व मुख्यमंत्री बीसी खंडूड़ी के खिलाफ साजिश रच रहा है? आखिर ऐसा क्या हुआ जो खंडूड़ी के राजनीतिक सफर में पहले नहीं हुआ? लगभग 26 साल से राजनीति कर रहे खंडूड़ी के राजनीतिक सफर में ऐसा कभी नहीं हुआ, जो आज देहरादून में हुआ। ये साजिश किसकी है, और किसके इशारे पर हुई, ये सवाल राजनीतिक गलियारों में हलचल मचाए हुए है।
पर्दाफाश यात्रा के शुरुआती दौर में ही जब पूर्व मुख्यमंत्री बीसी खंडूड़ी भाजपा के ही कार्यक्रम में बोलने के लिए उठे तो कार्यकर्ताओं ने उन्हें नकार दिया। लिहाज़ा खंडूड़ी अपना संबोधन बीच में ही रोकना पड़ गया। इस दौरान उनके चेहरे पर झल्लाहट साफ देखी जा रही थी। खंडूड़ी ने अपनी पीड़ा भी कैमरे के सामने कही। कांग्रेस से टूटकर भाजपा में शामिल हुए उमेश शर्मा काऊ भले ही इस पूरे ड्रामे को कांग्रेस की साजिश करार दे रहे हो लेकिन इसके अलावा एक सच और भी है। कौन है, जो खंडूड़ी को बोलने नहीं देना चाहता। साफ है कि आयोजित कार्यक्रम में जिस तरह से भाजपा कार्यकर्ता खाने पर टूटे, उससे साजिश और साजिशकर्ता पर सवाल उठना लाजमी है।
भाजपा नेता काऊ भले ही इस साजिश का ठीकरा कांग्रेस पर फोड़ रहे हो लेकिन भाजपा के अंदरुनी नेता इस बात की ओर भी इशारा कर रहे है कि इस साजिश के पीछे कुछ अपने भी हो सकते है। साफ है कि खंडूड़ी ज़रुरी का पूर्व में दिया गया नारा कार्यकर्ताओं के इस नए रवैए के चलते खंडूड़ी मजबूरी की तरफ इशारा कर रहा है। भाजपा नेताओं में अंर्तकलह नई बात नहीं है। पहले भी विधानसभा चुनाव में खंडूड़ी की हार से ये अंतर्कलह स्पष्ट हो चुकी है। आज के इस नए एपिसोड से दो बातें तय हैं। एक तो ये कि भाजपा का एक धड़ा जो पूर्व में खंडूड़ी का विरोधी रहा है, वो संभवतः खंडूड़ी को पसंद नहीं कर रहा है। संभवतः पुरानी साजिश और खुन्नस फिर सतह पर आने लगी है। पहले भी खंडूड़ी को हराने के लिए अपनों ने दांव खेला था। अब सवाल ये है कि भाजपा में ऐसा कौन है जो घर का भेदी लंका ढाए की तर्ज पर काम कर रहा है। कौन है वो साजिशकर्ता जो भाजपा में ही रहकर खंडूड़ी का विरोध कर रहा है?