चम्पावत: बेटी देश पर कुर्बान हो गया। पिता भी सेना रहे। राहुल को जब अंतिम सलामी दी जा रही थी। उस वक्त उनके पिता दोहरे चरित्र में नजर आए। एक तरफ उनको बेटे के खोने का दर्द सता रहा था, तो दूसरी और उनमें अपने सेना के दिनों का जज्बा हिलोरें मार रहा था। सेना में रह चुके शहीद के पिता वीरेंद्र रैंसवाल कहते हैं ‘मैं भी अगर राहुल के साथ होता तो चार आतंकियों को तो मार ही देता। कहते हैं कि अब समय आ गया है कि पाकिस्तान को उसी की भाषा में जवाब दिया जाए।
राहुल के घर पहुंचे सेना के पूर्व अधिकारी और पूर्व सैनिकों ने राहुल की शहादत को नमन करते हुए कहा कि हमारी सेना और प्रधानमंत्री को पाकिस्तान को करारा जवाब देना चाहिए। एक के बदले चार शव दुश्मन के आने चाहिए। लोगों ने राहुल के घर में वंदे मातरम्, भारत माता की जय, राहुल जिंदाबाद, राहुल तेरा यह बलिदान, याद रखेगा हिंदुस्तान आदि के नारे लगाए। शहीद राहुल रैंसवाल के पिता वीरेंद्र सिंह रैंसवाल बेटे की शहादत की खबर सुनने के बाद से एक बार भी नहीं रोए। जिगर के टुकड़े को खोने के बाद भले ही वे गमगीन हैं लेकिन उन्हें बेटे की इस शहादत पर बेहद गर्व है। आरआर में कुछ ही दिनों बाद बेटे के ढाई साल पूरे होने थे।