बूढाकेदार- घनसाली विधानसभा क्षेत्र के दूरस्थ बूढाकेदार में कल यानि 28 और 29 नवंबर को बग्वाल(दीपावली) मनाई जाएगी। इस मौके पर क्षेत्र के ईष्ट देव श्री गुरू कैलापीर देवता को लोगों के दर्शनार्थ के लिए मंदिर से बाहर निकाला जाएगा। सूबे में मंगसीर बग्वाल के नाम से मशहूर दीपावली कई पहाड़ी इलाकों में मनाई जाती है। सूबे की रवांई घाटी, जौनसार का इलाका और टिहरी के बूढाकेदार में मगशीर बग्वाल की छटा देखते ही बनती है।
यूं तो कार्तिक मास में सारे देश में दीपावली मनाई जाती है लेकिन राज्य के इन इलाकों में आज भी सदियों पुरानी परंम्परा देखने को मिलती है। गांव से परदेश में कमाने गए नौजवान बग्वाल के लिए घर आ चुके हैं। दो दिन तक मनाए जाने वाली इस बग्वाल में पहले दिन छोटी दीपावली मनाई जाएगी और दूसरे दिन बड़ी दिपावली पूरे विधि-विधान और उत्साह के साथ मनाई जाएगी। माना जाता है कि जब द्वापर में भगवान राम वनवास काट कर अयोध्या वापस आए तो उनके राजतिलक की खबर सूबे के इन दुर्गम इलाकों में देर से मिली। जिस दिन यहां खबर आई उसी दिन स्थानीय लोगों ने रामराज की खुशी में बग्वाल मनाई तब से अबतक मंगसीर बग्वाल इन इलाकों में अपनी रौनक के साथ जिंदा है हालांकि अब बदलते युग में इस त्यौहार में नए जमाने की भव्यता भी अपनी जगह बनाने लगी है ।
खैेर, बूढाकेदार में मंगसीर बग्वाल 28 और 29 नवंबर को मनाई जाएगी। पहले दिन यानि छोटी बग्वाल को स्थानीय वाद्य यंत्रों के साथ भैला प्रदर्शन किया जाएगा। वहीं बड़ी दीवाली को बूढाकेदार की संस्कृति में राज्य का संस्कृति विभाग भी शिरकत करेगा। इस अवसर पर महकमे की ओर से सांस्कृतिक कार्यक्रम तो प्रस्तुत किए ही जाएंगे साथ ही 1001 भैलों का भी प्रदर्शन किया जाएगा। जबकि 30 नवंबर से यहां तीन दिवसीय मेले का आयोजन किया जाएगा। जिसका उदघाटन मुख्यमंत्री हरीश रावत करेंगे।