रामनगर- सरकार जिस रेत-बजरी जैसे उपखनिज के धंधे पर इतरा रही है उसे अर्जित होने वाले राजस्व को हर साल बढ़ा रही है। लेकिन उनकी कमाई के इस धंधे और कमजोर निगरानी के चलते कितने घरों में इस धंधे के साइड इफैक्ट मर्सिया पढ़ रहे हैं इस पर नजरेंइनायत नहीं कर रही है।
आलम ये है कि, आए दिन उन इलाकों की सड़कें बेगुनाहों खून से रंगी जा रही है। जहां सरकारी निकासी गेट बने हुए हैं। मुनाफे का धंधा बन चुका रेत बजरी के कारोबार में लगे ढुलान वाले वाहनों के चालकों पर फेरों का इतना दबाव है कि उनके पांव ब्रेक पर पड़ते ही नहीं।
कभी जायज तो कभी नजायज तरीके से रेत-बजरी को ठिकाने में पहुंचाने वाले वाहन अपनी रफ्तार से पैदल राहगीरों को कुचलने से भी बाज नहीं आ रहे हैं।
रामनगर के जस्सागांजा गांव मे भी ऐसा ही हुआ सड़क किनारे खड़े मनोज नामक किसान को रेता बजरी से भरे डम्पर ने कुचल डाला। जबकि किसान अपने खेत मे खाद डालने जा रहे थे। मनोज की मौके पर ही मौत हो गई और घर में मौत के मातम ने कोहराम मचा दिया।
ग्रामीणों का आरोप है कि चालक शराब के नशे मे वाहन चला रहा था नशे में होने के चलते वाहन की तेज रफ्तार उसके काबू से बाहर हो गई। मनोज की मौत ने ग्रामीणो को आहत कर दिया लिहाजा गुस्साए ग्रामीणों ने मनोज के शव को मौके पर ही रख कर खनन कारोबारियो के खिलाफ प्रर्दशन किया।
ग्रामीणों ने जहां मृतक परिवार के लिए मुआवजे की मांग की वहीं गांव के भीतर से गुजरने वाले निकासी गेटों को बंद करने को कहा। साथ ही चेतवानी दी कि अगर ऐसा नहीं हुआ तो सरकार को उपखनिज का धंधा नहीं करने दिया जाएगा।