देहरादून : देहरादून की बदहाल सड़क से दूनवासी समेत बाहरी लोग भी परेशान है। एक तो सड़क नहीं ऊपर से सड़क किनारे रखे पथरी-बजीरी से लोगों औऱ भी ज्यादा दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. कोई उसमे फिसलकर घायल हो रहा है तो वहीं कई हादसे हो रहे हैं. लेकिन अब शासनादेश के बाद ठेकेदार से लेकर अफसरों को सतर्क रहने की जरुरत है।
जी हां अब खराब काम करने पर ठेकेदार से अफसरों पर गाज गिरेगी। चाहे वो खराब सड़क का निर्माण हो या डिजाइन या अन्य निर्माण कार्य में गड़बड़ी…ठेकेदार से लेकर अधिकारी सब नपेंगे। शासनादेश के अनुसार इसकी भरपाई सबसे वसूली कर होगी जो की शासन तय करेगा।। बता दें कि खराब काम करने पर नई व्यवस्था के तहत लोक निर्माण विभाग के लेकर चीफ इंजीनियर, जूनियर इंजीनियर तक को नुकसान की भरपाई अपनी जेब से करनी होगी वो अपने किए को दूसरे पर नहीं थोप पाएंगे।
इस हिसाब से होगी वसूली
भंडार में गबन/ नुकसान पर वसूली (कुल नुकसान का प्रतिशत)
जूनियर इंजीनियर – 60 प्रतिशत
असिस्टेंट इंजीनियर – 25 प्रतिशत
एक्सक्यूटिव इंजीनियर – 15 प्रतिशत
स्टोर कीपर इंचार्ज से वसूली
स्टोर कीपर 35 प्रतिशत
जूनियर इंजीनियर 25 प्रतिशत
असिस्टेंट इंजीनियर 25 प्रतिशत
एक्सक्यूटिव इंजीनियर 15 प्रतिशत
कुटाई के काम में कुल सरकारी नुकसान की 75 प्रतिशत जूनियर इंजीनियर और 25 प्रतिशत असिस्टेंट इंजीनियर से वसूली।
सामग्री अंडर या ओवर साइज हुई तो
ठेकेदार को देने वाले रेट में कटौती
पांच प्रतिशत तक – कोई कमी नहीं
10 प्रतिशत तक – 10 प्रतिशत कमी
15 प्रतिशत तक – 30 प्रतिशत कमी
20 प्रतिशत तक 50 प्रतिशत तक
20 प्रतिशत से अधिक -काम निरस्त
गलत डिजायन करने पर वसूली
स्वीकृति चीफ इंजीनियर की है : कुल नुकसान का 50 प्रतिशत चीफ इंजीनियर एवं एससी के बीच बराबर / बाकी बचे हिस्से में चीफ इंजीनियर और सहायक अभियंता से बराबर। स्वीकृति एससी (अधीक्षण अभियंता) की है : कुल नुकसान का 50 प्रतिशत एससी से, शेष एससी और असिस्टेंट इंजीनियर से बराबर। स्वीकृति एक्सईएन (अधिशासी अभियंता) की हो तो : 50 प्रतिशत एक्सईएन से, बाकी का 50 प्रतिशत असिस्टेंट इंजीनियर से
पेंटिंग वर्क
50 प्रतिशत ठेकेदार से, शेष आधी राशि का आधा जूनियर इंजीनियर से, बाकी बची राशि का 35 प्रतिशत असिस्टेंट इंजीनियर से और 15 प्रतिशत एक्सईएन से।पेंटिंग वर्क यदी प्लांट के जरिये किया गया है और ग्रिट ग्रेडिंग में कमी पाई गई है तो ठेकेदार, जूनियर इंजीनियर, असिस्टेंट इंजीनियर और एक्सईएन से वसूली होगी।
एस्टीमेट में गलत आकलन के कारण ज्यादा स्वीकृति होने पर
चीफ इंजीनियर ने स्वीकृति दी हो तो चीफ इंजीनियर और एससी पर कुल नुकसान का 50 प्रतिशत, दोनों से बराबर। एससी ने स्वीकृति दी हो तो नुकसान का 50 प्रतिशत एससी से वसूला जाएगा और बाकी का अन्य अधिकारियों से। एक्सईएन ने स्वीकृति दी हो तो नुकसान का 50 प्रतिशत एक्सईएन से और बाकी का अन्य अधिकारियों से वसूलेंगे