देहरादून : बीते दिनों पुलवामा में आतंकियों से मुठभेड़ के दौरान शहीद हुए देहरादून निवासी मेजर वीएस ढौंडियाल सिर्फ एक आर्मी अफसर नहीं बल्की एक ऐसे देशे के सैनिक थे जो जान की परवाह किए बगैर आतंकियों से अकेले निपटने की हिम्मत रखते थे. वो कभी भी समय या दिन देखकर नहीं बल्की जब आतंकवादियों की सूचना ही मिल जाए तो उसे खत्म करने के लिए तैयार रहते थे. और वो अब तक 30 से ज्यादा आतंकवादियों का खात्मा कर चुके थे.
30 से ज्यादा आतंकवादियों का कर चुके थे खात्मा, परिजनों ने दी अहम जानकारी
मिली जानकारी के अनुसार इसी कारण शहीद मेजर आतंकियों के निशाने पर थे और आतंकवादियों ने मेजर का नाम टॉप लिस्ट में रखा था. मेजर एक अच्छे टीम लीडर के तौर पर किसी भी मिशन में जाने को तैयार रहते थे औऱ 30 से ज्यादा आतंकवादियों का खात्मा कर चुके थे. ये बात परिवार वालों ने साझा की और बताया कि शहीद मेजर विभूति के दोस्तों के द्वारा उन्हें बताया गया था कि विभूति आतंकियों के निशाने पर था क्योंकि कई आतंकवादियों का खात्मा कर चुका था. जबकि खुद भी मेजर ने जम्मू कश्मीर के हालातों से परिवार को अवगतक कराया था कि जम्मू-कश्मीर में किस तरीके से खतरा है.
पुलवामा में 10 दिन पहले ही वो पोस्टिंग आए थे.
परिवार के लोगों की मानें तो मेजर विभूति शंकर ढौंडियाल के अंदर देशभक्ति कूट-कूट कर भरी थी. जब भी जम्मू-कश्मीर आतंकियों का खात्मा करना और किसी ऑपरेशन को अंजाम देना हो तो मेजर सबसे आगे रहते थे. पुलवामा में 10 दिन पहले ही वो पोस्टिंग आए थे.
शादी की सालगिरह पर आने वाले थे घर
वहीं आपको बता दें पिछले साल अप्रेल में ही उनकी शादी हुई थी और वो दिसंबर में ही घर छुट्टी आए थे औऱ जनवरी में ड्यूटी पर लौटे थे. वहीं बता दें 2 साल पहले ही वो कैप्टन से मेजर बने थे औऱ उन्होंने पत्नी से वादा किया था की वो शादी की सालगिरह पर आएंगे और साथ ही दोस्तों को कहा था कि वो सबको पार्टी देंगे.
बेटा जोश में होश मत खोना
मेजर विभूति की मां सरोज ढौंडियाल जब बेटे की बहादुरी के किस्से सुनती थीं तो मां होने के नाते चिंतित भी होती थीं। उन्हें हमेशा बेटे के जोश की चिंता रहती थी। फोन पर बात होने पर वे हर बार विभूति को समझाती थीं कि बेटा जोश तो ठीक है, मगर कभी भी जोश में होश मत खोना। तुम्हारे सिवा इस दुनिया में हमारा अब है ही कौन?
मिशन पर जाने से पहले की थी घर बात
शहीद मेजर ने जिस रात को आतंकियों से लोहा लेते समय मुठभेड़ में शहीद हुए थे ठीक उससे पहले उन्होंने घर पर फोन कर मां औऱ पत्नी से बात की थी. और अपने मिशन पर जाने की बात कही थी जिसके बाद से परिवार वाले चिंतित थे. करीब रात के 1 बजे मेजर को गोली लग गई थी और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया ता जहां उन्होंने 2 बजकर 15 मिनट पर अंतिम सांस ली. जिसकी खबर परिवार वालों को रात को नहीं दी गई.
शहीद मेजर कहते थे कि मेरी हर गोली पर एक आतंकी की मौत लिखी है
मयंक ने बताया कि जब भी आतंकियों के बारे में बात करते थे, तो उनका चेहरा गुस्से से भभक उठता था। विभूति ने मुझे बताया कि शादी से पहले कई आतंकियों को आमने-सामने की मुठभेड़ में मौत के घाट उतारा। अब नए टारगेट हैं, इन्हें भी बख्शूंगा नहीं। मयंक बताते हैं कि जब जनवरी में मेजर विभूति छुट्टी से वापस जा रहे थे, तोे बोलकर गए थे कि मेरी हर गोली पर एक आतंकी की मौत लिखी है। हर पल कुछ कर गुजरने की चाह रखने के इस जोशीले स्वभाव के चलते मेजर विभूति ढौंडियाल को 55 राष्ट्रीय राइफल में अलग पहचान मिली हुई थी।
बेटा जोश में होश मत खोना