
उत्तराखंड में मोबाइल नेटवर्क कनेक्टिविटी हमेशा से एक बड़ा मसला रही है। राज्य के पर्वतीय इलाकों में आज भी मोबाइल कनेक्टिविटी को बेहतर करने की मांग होती रहती है। खुद सरकारें इसे लेकर हर संभव प्रयास करती रहीं हैं लेकिन अब इस मामले में एक और पेंच सामने आ रहा है।
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दरअसल मोबाइल कनेक्टिविटी को बेहतर बनाने के लिए पिछले कुछ सालों से जियो ने अपना इंफ्रास्ट्रक्चर तेजी से विकसित किया है। इसी का नतीजा है कि दूरस्थ इलाकों में भी फोन की घंटी सुनाई देने लगी है।
हालांकि ये घंटी कब तक बजेगी और कब तक मोबाइल नेटवर्क आएगा ये तय नहीं है।
बताया जा रहा है कि जिओ ने अपने मोबाइल नेटवर्क का इंफ्रास्ट्रक्चर मेंटनेंस के लिए आंनद महिंद्रा की कंपनी के साथ अनुबंध कर रखा है। महिंद्रा एंड महिंद्रा अपने वेंडर्स को इस काम का ठेका देती है। सूत्रों की मानें तो महिंद्रा अपने वेंडर्स को समय पर उनके काम का भुगतान नहीं कर रही है। इसके चलते वेंडर्स पर दबाव बढ़ रहा है और वो काम नहीं कर पा रहें हैं।
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वहीं इसका सीधा असर मोबाइल कनेक्टिविटी पर हो रहा है। हालात ये हैं कि कई दूरस्थ इलाकों में मोबाइल नेटवर्क नहीं पहुंच पा रहा है।
वहीं कुछ वेंडर्स की माने तो काफी लंबे समय तक न तो पेमेंट हो रही है और न ही कंपनी के उच्चाधिकारी कोई संतोषजनक जवाब दे रहें हैं। कंपनी के उच्चाधिकारी तक अगर कोई वेंडर अपनी बात किसी तरह पहुंचा भी दे तो भी उसे सिर्फ आश्वासन देकर टाला जा रहा है। ऐसे में बड़ा सवाल ये है कि महिंद्रा की गलतियों का खामियाजा कब तक आम लोग भुगतेंगे।