जी, जब मसला निकाय चुनावों में वोटों के जुगाड़ का हो तो किस बात की मॉडल रोड और कहां के शहरी विकास मंत्री। फिर जनता गई चूल्हे में। अतिक्रमणकारी चाहें तो सड़क पर दुकान लगा लें। अधिकारी चूं नहीं करेंगे।
देहरादून में पिछले दिनों बड़ी जोर शोर से राज्य के शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक ने ISBT से घंटाघर तक की रोड को ‘मॉडल रोड’ बनाने का ऐलान किया। मंत्री जी, देखने में बेहद सक्रिय लगते थे लिहाजा पूरा लाव लश्कर दौड़ाया सड़क पर। एक दो दिन तक खूब परेड कराई अधिकारियों की इस सड़क पर। खुद भी उतरे, ई रिक्शा में बैठकर सड़क नापते दिखे। दावा था कि ISBT से लेकर घंटाघर तक की सड़क तक के सभी अतिक्रमण गिरा कर बाकायदा फुटपाथ बनायी जाएगी। सड़क को नई तकनीक से पहले से बेहतर बनाया जाएगा।
अतिक्रमण हटाने के लिए सरकारी अमले ने अभियान भी चलाया और कई पक्के निर्माण गिरा दिए। इसके पहले खुद अधिकारियों ने सर्वे कर कई निर्माणों पर लाल निशान लगाया था और उसे अतिक्रमण करार दिया। नियमत: इन अतिक्रमणों को भी तोड़ा जाना था। तभी मॉडल रोड का मकसद पूरा हो पाता। लेकिन अतिक्रमण हटाओ दस्ते ने कुछ एक अतिक्रमण तोड़ कर अपना कोरम पूरा कर लिया, मंत्री जी ने भी सड़क पर एक दो अधिकारियों को फटकार लगा कर वाह वाही लूट ली। फिर सब खत्म।
सैंकड़ों ऐसे अतिक्रमण हैं जिनपर लाल निशान लगाया गया था उन्हें अधिकारी नहीं तोड़ पाए। अब खेल देखिए।
इन अतिक्रमणों के आगे ही फुटपाथ बनाया जा रहा है। जनता के लिए अाड़े तिरछे फुटपाथ और दुकानों और अतिक्रमणकारियों के लिए खुली छूट। यही है मॉडल रोड। फिर आइए सड़क पर तो सहारनपुर चौक से निरंजनपुर मंडी तक की सड़क का हाल ये है कि आपको अपनी गाड़ी में बैठकर भी जिगजैग का लुत्फ मिल सकता है।
अब ऐसे में सवाल उठता है कि शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक का ‘मॉडर रोड’ की अवधारणा गई कहां? फिर खुद मदन कौशिक क्यों चुप हैं? कहीं ऐसा तो नहीं कि निकाय चुनावों की आहट से मंत्री जी सहम गए और मॉडल रोड का सपना दफन कर दिया। फिर अब मदन कौशिक अपनी की सपनों की माडल रोड पर कभी निरीक्षण करने क्यों नहीं आते? ये ऐसे सवाल हैं जिनके जवाब मदन कौशिक के पास शायद न हों लेकिन साफ है कि माडल रोड के नाम पर धोखा हुआ है और अतिक्रमणकारियों पर मेहरबानी।