खबरउत्तराखंड डेस्क । वहां इतने बम हैं कि दहशत हो जाती है। जहां अापकी नजर पड़ेगी वहां बम दिखाई देंगे। सड़क के किनारे. स्कूल के मैदान, खेत यहां तक की जंगल में भी वहां बम आसानी से मिल जाते हैं। जी हां बमों की उस धरती का नाम है शिएंग खोउआंग प्रांत। जो वियतनाम का हिस्सा है।
वियतनाम में लाओस भी बमो की धरती है। आज भी ये हालात हैं कि वहां गाहे-बगाहे लोग बमों से जख्मी हो जाते हैं। खासकर मासूम बच्चे जिन्हे बमों से कोई लेना-देना नही होता। बमों के आकार उन्हें खिलोंने से दिखाई देते हैं और छेड़छाड़ में ही ब्लॉस्ट हो जाते है।
आए दिन वियतनाम का लाओस और शिएंग खोउआंग बमों से जख्मी होता रहता है। आप मानो या न मानो लेकिन ये सच है कि लाओस के एक फीसदी हिस्से को बमों से मुक्त करने में एक करोड़ डॉलर खर्च हो चुके हैं। लगातार बच्चों के जख्मी होने के चलते यूनाइटेड स्टेट अब लाओस मे बमो को हटाने मे 90 मिलियन डॉलर खर्च करेगा।
वियतनाम वॉर को खत्म हुए 40 साल से भी ज्यादा का अर्सा गुजर चुका है लेकिन वियतनाम की धरती के जख्म अब भी हरे हैं। गाहे-बगाहे आज भी उन घावों से लहू रिस जाता है। युद्ध के दौरान अमेरिका ने वियतनाम की धरती पर बेशुमार बम गिराए। ऑर्गेनाइजेशन ‘लीगेसी ऑफ वॉर’ के मुताबिक यहां तकरीबन 8 करोड़ बम जमीन में दफ्न है।