देहरादून: बच्चों को लुभाने के लिए बच्चों के लिए बाजार में आने वाले कई पैकेट बंद चीजों में प्लास्टिक के खिलौने होते हैं। इन्हीं खिलौनों के कारण इन चीप्स और अन्य खाद्य पदार्थाें की बिक्री होती है। इसको लेकर देहरादून के दूधली गांव के आरटीआई एक्टिविस्ट अजय कुमार ने पहल की और पीएमओ को इस पर रोक के लिए कानून बनाने की अपील की। उन्होंने खुद दिल्ली जाकर पीएमओ के अधिकारियों को पूरे मामले की जानकारी और नुकशानों के बारे में बताया। पीएमओ ने उनकी बात मानी और अब एक बड़ा और कड़ा कानून बना दिया।
दूधली गांव की पहल के बाद पीएमओ के निर्देश पर एफएसएसएआई ने खाद्य पदार्थों के पैकेटों में आने वाले खिलौनों को अनसेफ फूड माना है। इसमें छह माह से आजीवन कैद और एक लाख से दस लाख तक का जुर्माना है। एफएसएसएआई ने 22 जुलाई को सभी प्रदेशों के खाद्य आयुक्तों को आदेश जारी किया है, जिसमें कहा गया है कि खाने-पीने की चीजों में बच्चों को लुभाने के लिए प्लास्टिक खिलौने डाले जाने वाले खाद्य पदार्थों को अनसेफ फूड की कैटेगरी माना जाए। ऐसे उत्पादों पर कार्रवाई की जाए।
अजय ने आंध्र प्रदेश के गोदवरी जिले में इलुरानगर में ऐसे एक खिलौने को निकलने पर चार साल के बच्चे की मौत पर 13 नवंबर 2017 को पीएमओ को चिट्ठी लिखी थी। पीएमओ से 4 जनवरी 2018 एफएसएसएआई को प्रकरण की जांच कर कार्रवाई के निर्देश दिए गए। 19 जुलाई को पीएमओ गए और इस पर नियम बनाने की मांग की। जिसके बाद पीएमओ के निर्देश पर 22 जुलाई को देश भर के आयुक्तों को प्लास्टिक खिलौने डाले जाने वाले खाद्य पदार्थों को अनसेफ फूड की कैटेगरी में मानकर कार्रवाई करने के आदेश दिए।