देहरादून- बीते रोज श्रीबदरीनाथ यात्रा मार्ग पर हुए हाथी पर्वत के भूस्खलन ने सूबे की सरकार के मॉनिटरिंग के दावे की हवा निकाल दी है। सूबे में चार धाम यात्रा शुरू होने से पहले सरकार ने यात्रा मार्ग की निगरानी रखने का पल-पल का दावा किया था।
लेकिन कल दोपहर जैसे ही विष्णुप्रयाग के पास हाथी पर्वत का कुछ हिस्सा जमी पर आया शासन-प्रशासन के हाथ पांव फूल गए। भूस्खलन ने सरकार को न केवल घुटने के बल बिठाया है बल्कि साबित भी कर दिया है कि यात्रा प्रभु के भंरोसे चल रही है।कहीं कोई मॉनिटरिंग नहीं है।
उसकी वजह है कि जहां बीते रोज सरकार के शासकीय प्रवक्ता ने शाम को हजारों यात्रियों के फंसे होने की बात कही वहीं चमोली जिला प्रशासन ने सरकार की बात को काट दिया। जिलाधिकारी ने बयान दिया कि रास्त में कोई भी मुसाफिर फंसा हुआ नहीं है। सभी को सुरक्षित जगह पहुंचा दिया गया है और तीर्थयात्रियों को आस-पास के नगरों में जाने का संदेश भी दिया गया है।
वहीं आज सुबह देहरादून में मीडिया को जो प्रेस रिलीज जारी की है उसमे भी सरकार गफलत दिखाई दी। मीडिया को जानकारी देती दो पन्नों की प्रेस रिलीज के पहले पेज के पांचवें बिंदु में सरकार ने जो जानकारी मीडिया को दी है उससे महसूस हो रहा है कि सरकार को भी मौके की हकीकत का कोई पता नहीं है।
मीडिया को जानकारी दी जा रही है कि मार्ग मे कोई यात्री फंसा हुआ नहीं है सभी यात्री या तो प्रसाशन / मंदिर समिति / गुरुद्वारा / होटल /धर्मशालाओं /आश्रमों आदि में रुके है तथा सभी के लिए खान-पान की निशुल्क व्यवस्था की गई है। वहीं 6 बिंदु मे जानकारी दी गई है कि दोनों ओर से पैदल आ रहे यात्रियों को भूस्खलन क्षेत्र से सुरक्षित पार करवाने के लिए पुलिस, SDRF, होमगार्ड और पीआरडी के जवान तैनात किए गए हैं। ट्रांसशिपमेंट के लिए 15 छोटे और 10 बड़े वाहनो का इंतजाम किया गया है।
जबकि अगले बिंदु में जानकारी दी गई है कि सभी यात्री सुरक्षित है तथा बीच में जहां पर मार्ग बंद है उसके पास से लगभग दो किलोमीटर पैदल मार्ग द्वारा यात्रा संचालित की जा रही है।
सवाल ये है कि जब सभी श्रद्धालुओं को सुरक्षित ठिकानों पर पहुंचा दिया गया है तो दो किलोमीटर के पैदल मार्ग से कौन छोटे-बड़े वाहनों में टांसशिपमेंट कर रहा है। विज्ञाप्ति में राहत शिवरो में 8880 तीर्थयात्रियों की तादाद बताई गई है जबकि बीते रोज सरकार ने इससे कहीं ज्यादा का आंकड़ा जारी किया था। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर सरकार खुद ही अपनी फजीहत क्यों करवा रही है। चारधाम यात्रा तो उसकी रीढ है सूबे की पहचान है।