गिरफ्तारी के बाद आरोपियों की बेल के लिए कोटद्वार के दो अधिवक्ता आगे आए थे, जिनका कोटद्वार बार एसोसिएशन ने विरोध किया था। साथ ही बैठक में प्रस्ताव (रेसोल्यूशन) लाकर किसी भी अधिवक्ता के पैरवी करने पर रोक लगा दी थी। इस प्रस्ताव के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी। वकील कुलदीप अग्रवाल ने जनहित याचिका दायर कर राज्य सरकार के साथ उत्तराखण्ड और बार काउंसिल ऑफ इंडिया को पार्टी बनाया। मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने आज मामले में सुनवाई करते हुए कोटद्वार बार एसोसिएशन को 25,000 याचिकाकर्ता को भुगतान करने को कहा है।
उत्तरखंड बार काउंसिल ने भी राज्य की सभी बार एसोसिएशन को उनकी जिम्मेदारी और शक्तियों के बारे में बताया। काउंसिल ने ये भी कहा है कि उनके पास इन एसोसिएशनों के खिलाफ कार्यवाही करने का अधिकार है। खण्डपीठ ने एडीजे कोटद्वार को भी निर्देशित किया है कि इसका विशेष ध्यान रखा जाए कि बार एसोसिएशन, न्यायालय के किसी भी कार्य को प्रभावित ना करे। एडीजे को निर्देश दिए गए हैं कि वो उच्च न्यायालय प्रशासन को किसी भी अनियमितता के दिखने पर सूचित करें। इसके साथ ही खण्डपीठ ने न्यायालय से भी आशा की है कि वो एडीजे के कार्यों की समीक्षा कर किसी भी न्यायिक असफलता के बारे में रिपोर्ट बनाकर जानकारी दें और आरोपियों के खिलाफ कार्यवाही करें। न्यायालय ने हड़ताल खत्म करने और हत्यारोपियों की पैरवी करने के लिए अधिवक्ताओं को कसाब को पैरवी मुहैय्या कराने का उदाहरण दिया।