कोटद्वार : मौसम विभाग उत्तराखंड में 3 दिन पूर्व ही 6 और 7 तारीख को प्रदेश के पहाड़ी क्षेत्रों में भारी बर्फबारी और मैदानी क्षेत्रों में बारिश की संभावना का अलर्ट जारी किया था। जिला प्रशासन द्वारा मौसम विभाग की इस अलर्ट का संज्ञान लेते हुए 7 तारीख को सभी सरकारी और गैर सरकारी स्कूलों को बंद रखने का आदेश जारी किए गए ते लेकिन कोटद्वार में सामाजिक कार्यक्रमों का लबादा ओढ़े कार्यक्रम सरकारी आदेशों की धज्जियां उड़ाते नजर आए। कण्वाश्रम बसंतोत्सव समिति पर भी जिला प्रशासन के आदेश का असर नहीं दिखा। इसमें कई सरकारी और गैर सरकारी स्कूल शामिल हैं.
राजनीतिक और सामाजिक प्रतिष्ठा बनाने वाले लोग अपने सपनों का बोझ इन बच्चों के कंधों पर डाल देते हैं जिन बच्चों को पढ़ना चाहिए. वह बच्चे सड़कों पर मार्च पास्ट निकालते नजर आये. मासूम सर्दी में भारत और उत्तराखंड की संस्कृति का सारा बोझ यह स्कूली बच्चे उठाएं घूम रहे हैं. सामाजिक कार्यक्रमों जिसमें छोटे-छोटे बच्चे ठंड से ठिठुरते हुए नजर आए और नगर निगम के ऑडिटोरियम में बच्चों के बैठने के लिए उचित व्यवस्था नहीं होने की वजह से उनको ठंड में जमीन में बिठाया गया जिससे उनके स्वास्थ्य पर भी असर पड़ सकता था. इस मामले में स्कूल संचालकों और प्रबंधकों से बात करने पर उनके जवाब और भी चौकानें वाले हैं।
वहीं शिक्षा अधिकारी का कहना है कि 5 वीं से 12 वीं क्लास के बच्चों को मार्च पास्ट के लिए बुलाया गया था जबकि उसमें सेकंड क्लास में पढ़ने वाले बच्चों को भी लाया गया था। इस बात का खुलासा दूसरी कक्षा में पढ़ने वाली छात्रा से बात करने पर हुआ.
वहीं इस मामले में भाजपा के जिलाध्यक्ष शैलेंद्र बिष्ट से पूछा गया तो उन्होने गोल मोल जबाब देते हुए भारतीय संस्कृति के उत्थान का हवाला देते हुए अपना पल्ला झाड़ा.
बड़ा सवाल है कि क्या सरकार के नुमाइंदों के लिए कोई नियम-कानून नहीं है. राजनैतिक लाभ के लिए सरकार के ही कुछ लोग खुलेआम सड़कों पर प्रशासन के आदेशों की खिल्ली उड़ा रहे हैं…ऐसे स्कूलों औऱ व्यक्ति विशेष पर जरुर कार्रवाही होनी चाहिए ताकि मासूमों पर जुल्म न कर सकें.