देहरादून/कोटद्वार। कोरोना के संकट काल में भी भाजपा अपनी ब्राडिंग लगातार जारी रखे हुए है। वो चाहें मोदी किचन हो या फिर मोदी लंच पैकेट। अब कोटद्वार से एक नया ही दृश्य सामने आया है। संभवत: ये दृश्य पूरे देश में कोरोना काल में पहली बार देखने को मिला जब संपूर्ण मानव जाति के लिए संकट काल में भी राजनीतिक रोटियां सेंकी गई हो।
गुरुग्राम से बड़ी संख्या में प्रवासी उत्तराखंडी कोटद्वार पहुंचे। ये यहां तक बसों से लाए गए थे। कोटद्वार में इन लोगों को ठहराया गया। मेडिकल जांच की गई। इसके बाद इन्हें इनके गांवों तक भेजने की व्यवस्था की गई थी। अधिकारी आगे की व्यवस्थाओं की तैयारी कर ही रहे थे।
ये सब चल ही रहा था इसी बीच भाजपा के कई कार्यकर्ता वहां पहुंच गए जहां इन यात्रियों को ठहराया गया था। बताया जा रहा है कि भाजपा नेता और भाबर मंडल अध्यक्ष चंद्रमोहन जसोला अपने साथ कुछ अन्य कार्यकर्ताओं को लेकर यहां पहुंच गए। यहां पहुंचते ही भाजपा कार्यकर्ताओं ने अपने पास पहले से मौजूद राज्य के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की तस्वीरें निकाल लीं। ये पोस्टर प्रवासी उत्तराखंडियों के हाथों में दे दिए गए। इसके बाद भाजपा कार्यकर्ताओं ने प्रवासियों से त्रिवेंद्र सिंह रावत जिंदाबाद के नारे लगवाने शुरु कर दिए गए।
बाकायदा भाजपा कार्यकर्ताओं ने कह कह कर प्रवासियों से सीएम जिंदाबाद के नारे लगवाए। सोशल मीडिया पर इसका वीडियो भी वायरल हो रहा है। यही नहीं, चंद्रमोहन जसोला ने बाकायदा इस अस्थायी कैंप में पहुंचे लोगों का इंटरव्यू लेना शुरु कर दिया। इसके वीडियो खुद जसोला ने अपने फेसबुक अकाउंट पर अपलोड किए हैं। इस वीडियो में जसोला गुरुग्राम से लौटे लोगों से पूछ रहें हैं कि वो कहां से आए और कहां काम करते थे। यही नहीं, जसोला खुद ही मुख्यमंत्री की तारीफ वाले शब्दों को प्रवासियों से बोलते नजर आ जाएंगे। जसोला एक वीडियो में कहते हैं कि, ‘आपने कुछ परेशानी झेली कुछ और परेशानी झेलिए।
इस मसले पर अब कांग्रेस ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। कांग्रेस की प्रदेश प्रवक्ता गरिमा माहरा दसौनी इसे मुख्यमंत्री की कोरोना काल में सामने आई संवेदनहीन छवि पर पर्दा डालने की कोशिश करार देती हैं। खबरउत्तराखंड.कॉम के साथ हुई बातचीत में गरिमा कहती हैं कि, सुनियोजित तरीके से भाजपा के कार्यकर्ताओं को प्रवासियों के लिए लगाए गए कैंपों तक भेजा जा रहा है। यहां भाजपा कार्यकर्ता लोगों के मुंह में अपने शब्द रख रहें हैं और सीएम की तारीफ में नारे लगवा रहें हैं। उन्हें इस बात में कोई रुचि नहीं है कि प्रवासियों को इस लॉकडाउन में कितनी परेशानी हुई। गरिमा इसे स्वतंत्र राय रखने की संवैधानिक आजादी का हनन बताती हैं।
इसके साथ ही सवाल ये भी है कि लॉकडाउन के दौरान चंद्रमोहन जसोला को किसने इस शिविर तक जाने की इजाजत दी वो भी मुख्यमंत्री की फोटो, पोस्टर के साथ? इसके लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर क्या कार्रवाई होगी?