देहरादून- लोकतंत्र में लोक अपना फर्ज अदा कर रहा है लेकिंन तंत्र है कि लोक को तकलीफ देने से बाज नहीं आता। उत्तरकाशी जिले के डांग गांव के निवासियों के आरोप इस बात की तस्दीक करने के लिए काफी हैं। सुदूर उत्तरकाशी से देहरादून डांग पंचायत की जनता इसलिए आई है कि सूबे के आम आदमी जान सके कि तंत्र की कारगुजारियां क्या-क्या गुल खिला सकती हैं।
दरअसल जिले में डांग से पोखरी के लिए शासन ने सड़क मंजूर की है। लेटलतीफी होते देख डांग पंचायत के लोगों ने श्रमदान की मिसाल पेश करते हुए 560 मीटर सड़क बना दी। अभी 130 मीटर सड़क बाकी है मगर ये सिर्फ इसलिए रुक गई कि सड़क उन खेतों से गुजर कर गांवों में पहुंचेगी जिनका मुआवजा अभी सरकार तय नहीं कर पाई है। लिहाजा ग्रामीणों के श्रमदान की नजीर सड़क मंजिल पर पहुंचने से पहले ही अटक गई।
इस बीच लोकनिर्माण विभाग के प्रांतीय खंड भटवाड़ी ने नया पेंच फंसा दिया। महकमे की कारगुजारी का विरोध करने लिए उत्तरकाशी से देहरादून आए हुए ग्रामीणों की माने तो लोनिवि डांग से पोखरी स्वीकृत मार्ग के नक्शे पर फेरबदल करते हुए उसे NIM से पोखरी ले जाना चाहता है।
ग्रामीणों का आरोप है कि लोकनिर्माण विभाग ने ठेकेदार लॉबी के आगे घुटने टेक दिए हैं। क्योंकि फेरबदल के मुताबिक प्रस्तावित सड़क नेहरू पर्वातारोहण संस्थान से होकर पोखरी आएगी जिसके एवज मे तकरीबन एक किलोमीटर तक जंगल कटेगा पर्यावरण को नुकसान पहुंचेगा। बावजूद इसके लोनिवि इस पर हामी भर रहा है लेकिन डांग से पोखरी स्वीकृत मार्ग के मुआवजे पर अमल नहीं कर रहा है ।
ग्रामीणों का इल्जाम है कि जंगल से गुजरने वाली सड़क के लिए इसलिए महकमे पर दबाव बनाया जा रहा है ताकि जंगल से गुजरने वाली सड़क पर ठेकेदार लॉबी अपने होटल-रिसोर्ट बनवा सके और उत्तराखंड की सहेजी हुई संस्कृति पर चोट पहुंचा सके।
गजब की बात है जिन ग्रामीणों की श्रमदान के लिए हौंसला आफजाई होनी चाहिए थी उसे लोनिवि की कारगुजारी का चिट्ठा खोलने के लिए देहरादून का सफर तय करना पड़ रहा है। ऐसे मे सवाल उठता है अगर ग्रामीणों के आरोप मे जरा भी दम है तो क्या सूबे में बेलगाम हो चुकी ठेकेदार लॉबी पर अंकुश नहीं होना चाहिए ! आखिर ठेकेदार लॉबी के दबाव में महकमा एक किलोमीटर जंगल के कत्ल का प्रस्ताव किसकी शह पर बना रहा है ? अगर सिर्फ मुआवजे की वजह से सड़क रुक गई है तो महकमा मुआवजे का प्रस्ताव शासन को क्यों नहीं दे रहा है।