आजकल भारत में एक ऐसी महिला सुर्खियों में है जिन्होनें प्रशासनिक सेवा से इस्तीफा इसलिए दिया ताकि वो चुनाव लड़ सके। लेकिन सरकार ने उनका इस्तीफा नहीं स्वीकार किया जिस कारण उन्हें कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा और तब जाकर उनका इस्तीफा स्वीकार किया गया है।
बता दें कि महिला का नाम निशा बांगरे हैं। निशा मध्य प्रदेश की रहने वाली हैं। वह छतरपुर जिले की डिप्टी कलेक्टर थीं। हालांकि उन्होनें अपने पद से इस्तीफा देते हुए सरकार से त्यागपत्र स्वीकार करने का निवेदन किया था।
डिप्टी कलेक्टर के पद पर थीं निशा बांगरे
दरअसल निशा बांगरे का जन्म बालाघाट में हुआ था। 2010 से 2014 के बीच निशा ने विदिशा के इंजनियरिंग कॉलेज से पढ़ाई पूरी की। बाद में अमेरिका की बहुराष्ट्रीय कंपनी में नौकरी कर अपने करियर की शुरुआत की। हालांकि बाद में उन्होंने प्रशासनिक सेवा में शामिल होने का फैसला लेते हुए 2016 में मध्य प्रदेश पीएससी की परीक्षा दी। पीएससी परीक्षा में पास होने पर उनका चयन डिप्टी कलेक्टर के पद पर हुआ।
चुनाव लड़ने के लिए दिया इस्तीफा
बता दें कि निशा बांगरे राज्य शासन 2018 बैच की अधिकारी हैं। निशा छतरपुर जिले के एसडीएम पद से इस्तीफा देना चाहती हैं। क्योंकि चुनाव लड़ने के लिए उन्हें अपनी नौकरी से इस्तीफा देना था, लेकिन सरकार ने उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं किया। इसके अलावा उन पर विभागीय जांच भी बिठा दी गई।
कोर्ट का खटखटाया दरवाजा
जिसके बाद निशा ने अपने इस्तीफे की मांग को लेकर कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। हाई कोर्ट के दखल के बाद निशा को राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के आदेश के बाद शिवराज सरकार व सामान्य प्रशासन विभाग ने लंबे समय बाद निशा बांगरे का त्याग पत्र स्वीकार कर लिया। साथ ही विभागीय जांच भी समाप्त कर दी है।