देहरादून- से सूबे में अनियोजित विकास की रफ्तार बढ़ी है और योजनागत विकास मे अनुश्रवण को हल्के में लिया है तब से उत्तराखंड के पहाड़ बहुत पीड़ा झेल रहे हैं। आलम ये है कि ठेकेदारों का दिया हर जख्म बरसात के दौरान पहाड़ के सीने से भूस्खलन जैसे मवाद के रूप में रिसने लगता है।
लेकिन अब उम्मीद है कि आने वाले वक्त में ऐसा न हो उसकी वजह जायका। जी हां जायका (JICA), यानि जापान इंटरनेशनल कोऑपरेशन एजेन्सी की तकनीक। जायका की तकनीक को लेकर सूबे की टीएसआर सरकार ने हामी भरी है। जायका अपनी तकनीक स सूबे के पहाड़ी वन क्षेत्रों में भूस्खलन के उपचार को करेगी। जापान की ये कंपनी लैंडस्लाइड ट्रीटमेंट की एक्सपर्ट मानी जाती है।
बहरहाल देहरादून में राज्य के मुख्य सचिव एस रामास्वामी की अध्यक्षता में हुई एक बैठक के दौरान जायका के परियोजना निदेशक अनूप मलिक ने जापान से आये विशेषज्ञों शिन्गो किटौरा और सुश्री साओरी मियाजिमा का परिचय कराया और तकनीकी सहायता परियोजना के विषय में अधिकारयों को जानकारी दी। ऐसे में उम्मीद जताई जा रही है कि जपान की तकनीक उत्तराखंड के पहाड़ के हर घाव को दुरुस्त कर देगी।