देहरादून- अमूमन आपने उत्तराखंड में रावत, नेगी, बिष्ट, असवाल, पंवार, धन्नई, पटवाल जाति के लोगों के बारे में सुना और Rawat cast के लोगों को देखा होगा. साथ ही आपने उत्तराखंड में ब्राह्मण जाति के बारे में भी सुना होगा. लेकिन कभी आपने सोचा है इन जातियों का इतिहास क्या है? कहां से आई ये जाति और कहां से सम्बंध रखते हैं इस जाति के लोग?क्या मान्यता है इन जातियों की. तो आज हम आपको रावत जाति के गौरवशाली इतिहास के बारे में बताने जा रहे हैं.
“रावत” का संधि विच्छेद
रा – राजपुताना
व – मतलब वीर
त – मतलब तलवार
Rawat Cast का अर्थ ?
इसका सीधा मतलब है कि बलशाली, पराक्रमी, क्षत्रिय शूरवीर जो तलवार के धनी हैं, वे रावत- राजपूत कहलाते हैं…ये रावतों को एक पदवी मिली है, जो 10 हाथियो की सेना से मुकाबला करने वाले राजपूत शूरवीर योध्दा को प्रदान की जाती थी। इस पदवी का मतलब राजपुत्र,प्रधान, प्रतापी शूरवीर, पराक्रमी योध्दा होता है। रावत की पदवी की गरिमा को किसी ने इस तरह से बखान किया है।
’सौ नरों एक सूरमा, सौ शूरों एक सामन्त, सौ सामन्त के बराबर होता है, एक रावत राजपूत। इतिहासकार बताते हैं कि रावत शब्द राजपुत्र का ही अपभ्रंश है । राजपूत काल मे रावत जाति न होकर चौहान, गहलौत, परमार,सिसोदिया, पवाँर, गहड़वाल आदि राजघरानो में पराक्रमी शासक वर्ग की पदवी थी, जो दरबार में सम्मान और बड़प्पन का सूचक होती थी।
इन राजघरानो में रावत पदवी से सम्मानित शूरवीर रावत-राजपूत कहलाते थे। ये रावत ही थे जो क्षत्रियों में अपनी विशेष पहचान रखते थे. कहा जाता है कि राजस्थान में रावत की पदवी अनूपवंशीय बरड़ राजपूतों में सबसे पहले वीहल चौहान राजपूत सरदार को मिली थी..उनके पराक्रम पर मेवाड़ दरबार में रावल जैतसी द्वारा ये उपाधि दी गई थी। इसके लिए उन्हें 10 गांवो का गढ़बौर यानी चारभुजा राज्य दिया गया था। रावत-राजपूत स्वाभिमान के धनी रहे है। रावत-राजपूतों ने अपना सिर कटाना स्वीकार कर लिया पर पराधीनता कभी भी पसन्द नहीं की, जिसका एक गौरवमयी इतिहास रहा है।
फ्रांस के प्राकृतिक वेता ने लिखी ये बात
1832 में फ्रांस के प्राकृतिक वेता मि. जेक्मेन्ट ने रावत राजपूतों के लिए लिखा था कि ” No Rajput Chief No Mughal Emperor had ever been able to sub-due them, Merwara always remained independant.”
उत्तराखंड में Rawat cast UP के राजपूताना परिवारों से आए
इसका मतलब है कि रावतों को न तो कोई राजपूत राजा अपने वश में कर पाया न ही कोईॉ मुगल सम्राट…इन राजपूतों का राज्य हमेशा आज़ाद रहा। कहा जाता है कि उत्तराखंड में rawat cast UP के राजपूताना परिवारों से ही आए थे। नैन सिंह रावत, जनरल बिपिन रावत, त्रिवेंद्र सिंह रावत जैसे ये बड़े नाम हैं, जिन्होंने अपने तेज से हर किसी को अपनी तरफ आकर्षित किया है।
गढ़वाल के 52 गढ़ों में से कई गढ़ों पर रावत जाति का रहा राज
गढ़वाल के 52 गढ़ों में से कई गढ़ों पर Rawat cast का राज रहा है। मुंगरा गढ़ की बात करें तो रवाई स्थित ये गढ़ रावत जाति का था और यहां रौतेले रहते थे। इसके अलावा रामी गढ़ पर भी रावतों का ही राज रहा था। बिराल्टा गढ़ भी एक ऐसा गढ़ है जहां रावत जाति के राजाओं ने राज किया था। रावत जाति के इस गढ़ का अंतिम थोकदार भूपसिंह था। ये जौनपुर में था। इसके अलावा कांडा गढ़ जो कि रावतस्यूं में था। इस पर भी रावत जाति का था।