देहरादून: कांग्रेस में गुटबाजी समाप्त होने का नाम नहीं ले रही है। इस बार पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष किशोर उपाध्याय और वर्तमान कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह के बीच बयानों की जंग शुरू हो गई है। प्रीतम सिंह ने अखबार को दिये बयान में कहा है कि वनाधिकारों वाला आंदोलन उनका वैचारिक आंदोलन है। इससे पार्टी को कोई लेना-देना नहीं है। प्रीमत सिंह के बयान पर किशोर उपाध्याय ने करारा प्रहार किया है। उन्होंने कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष को चिट्ठी लिखकर प्रीतम सिंह को अलग-अलग बिंदुओं पर घेरते हुए कई सवाल दागे हैं।
किशोर उपाध्याय की चिट्ठी…
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परम आदरणीय प्रीतम सिंह जी,
आज हिंदुस्तान अखबार में वनाधिकार आंदोलन पर आपका वक्तव्य देखा, धन्यवाद। आप कांग्रेस इतिहास के अध्येता हैं, ऐसा मेरा मानना है। कांग्रेस एओ ह्यूम जी से लेकर और अब राहुल गांधी जी तक सदैव समाज के सबसे अंतिम स्थान पर स्थित भारत के नागरिकों के साथ खड़ी रही है। उसमें आदिवासी, दलित, वनवासी, अल्पसंख्यक से लेकर गरीब मजदूर, महिलाओं के हितों का सरंक्षण सेवा भाव से करती आ रही है।
मैं तो आपसे समर्थन की और अधिक आशा इसलिये रखता था कि चकराता और खस पट्टी में कोई अंतर नहीं है। आप को जो सुविधायें/आरक्षण मिल रहा है, वह खस पट्टी और प्रदेश के अन्य अरण्यजनों/गिरिजनों को क्यों नहीं मिल रहा…?
मैं विनम्रतापूर्वक आपके संज्ञान में लाना चाहता हूँ कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी जी ने पूरे देश के प्रदेश अध्यक्ष और देश के कांग्रेस पदाधिकारियों के साथ बैठक कर यह निर्देश दिये थे कि 2006 के फेरा (वनाधिकार अधिनियम), जिसमें पुश्तैनी और परम्परागत अधिकारों और हक-हकूकों की रक्षा की गयी है, आदिवासियों, वनवासियों, गिरिजनों और अरण्यजनों को दिलवाने की मुहीम के भागीदार बनें। इस बैठक का एजेंडा कांग्रेस कार्यालय में सुरक्षित है, उचित समझें तो उसका भी अवलोकन करने की कृपा करें।
आपकी अध्यक्षता में प्रदेश कांग्रेस समिति की जो बैठक हुई थी, उस बैठक में वनाधिकारों का ही एकमात्र प्रस्ताव पारित हुआ था। मैं आपसे अनुरोध करना चाहता हूं कि उत्तराखंड को बचाने और बसाने की इस गिलहरी जैसी कोशिश की अनदेखी न करें।
सादर सहित,
(किशोर उपाध्याय)