देहरादून (मनीष डंगवाल) : उत्तराखंड भाजपा के लिए पहले खंडूड़ी बेहद जरूरी थे, लेकिन अब खंडूड़ी उत्तराखंड भाजपा के जरूरी नजर नहीं आते। आलम ये है कि भाजपा ने खंडूरी से किनारा करने का मन बना दिया है। इस बात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पहली बार कार्यकारी अध्यक्ष बनने के बाद जब जेपी नड्डा देहरादून पहुंचेंगे और कोर ग्रुप की महत्वपूर्ण बैठक लेंगे तो उसमें पूर्व मुख्यमंत्री गढ़वाल से सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री तक रह चुके भुवन चंद्र खंडूरी मौजूद नहीं होंगे। यह पहला मौका होगा जब खंडूरी का नाम कोर ग्रुप की बैठक में शामिल होने वालों में नहीं है।
लोकसभा चुनाव के बाद ऐसा पहला मौका है जब कोर ग्रुप की अति महत्वपूर्ण बैठक होने जा रही है और उसमें खंडूरी का नाम ना हो। भले ही अस्वस्थ होने के चलते खंडूरी भाजपा के कई बैठकों में मौजूद नहीं रहे होंं और बैठकों से उन्होंने स्वयं ही किनारा किया हो, लेकिन ऐसा पहली बार हो रहा है जब कोर ग्रुप की बैठक से भाजपा ने उनसे खुद किनारा कर दिया। वह भी तब जब खंडूरी इन दिनों राजधानी देहरादून में ही हैंं और पहले से स्वस्थ हैंं।
खंडूरी के बेहद करीबियों का कहना है कि अभी तक कल होने वाली कोर ग्रुप की बैठक को लेकर किसी तरह की सूचना उन्हें नहीं दी गई है। जबकि खंडूरी इन दिनों देहरादून में ही और पूरी तरीके से स्वस्थ भी हैं। भाजपा के द्वारा खंडूरी की इस तरह की गई अनदेखी को लेकर उनके समर्थकों में नाराजगी भी है। खंडूरी को कोर ग्रुप की बैठक में आमंत्रण ना दिए जाने को लेकर साफ है कि भाजपा ने अब खंडूरी से पूरी तरीके से किनारा कर लिया है, जो खंडूरी उत्तराखंड में भाजपा के लिए एक बार बेहद जरूरी हुआ करते थे। आज पार्टी उनसे इस तरीके से किनारा कर लेगी यह किसी ने नहीं सोचा था।
मनीष की सक्रियता माना जा रहा है वजह
कुछ लोगों का मानना है कि भुवन चंद खंडूरी के बेटे मनीष खंडूरी ने कांग्रेस ज्वाइन करने के बाद अब कांग्रेस के भीतर सक्रिय भूमिका में भी नजर आ रहे हैं । इसी को देखते हुए शायद हो सकता है कि भाजपा ने अब खंडूरी से किनारा कर लिया हो। खास बात यह है कि कोर ग्रुप की बैठक में पूर्व मुख्यमंत्री और नैनीताल से सांसद रहे भगत सिंह कोशियारी का नाम भी नहीं है। क्योंकि उन्हें महाराष्ट्र का राज्यपाल बना दिया गया है और कोश्यारी ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से भी राज्यपाल बनने के तुरंत बाद इस्तीफा दे दिया था। लेकिन भुवन चंद खंडूरी ने ना तो अभी राजनीति से सन्यास लेने की घोषणा की है और ना ही उन्होंने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दिया है। लिहाजा कोर ग्रुप से उन्हें क्यों बाहर किया गया है यह स्पष्ट नहीं हो पा रहा है।
भाजपा के जिम्मेदार नेता दे रहे गोल मोल जवाब
भाजपा के जिम्मेदार पदाधिकारियों से इस बारे में हमने जानकारी लेनी चाही तो भाजपा के नेताओं के गोलमोल जवाब दिए। कुछ नहीं तो खंडूरी के स्वास्थ्य का हवाला देते हुए कहा कि उन्हें इसलिए बैठक में नहीं बुलाया जाएगा कि उनका स्वास्थ्य खराब है। कुछ ने तो यहां तक कह दिया कि बैठक में पूर्व मुख्यमंत्रियों में से विजय बहुगुणा ही पूर्व मुख्यमंत्री के नाते बैठक में शामिल होंगे। क्योंकि रमेश पोखरियाल निशंक अगर बैठक में शामिल होते हैं तो वह वर्तमान में सांसद और केंद्रीय मंत्री के नाते बैठक में शामिल होंगे जबकि पूर्व मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूरी को बैठक से दूर रखा गया है, कोर ग्रुप की बैठक बेहद गोपनीय और महत्वपूर्ण भाजपा के लिए मानी जाती हैं क्योंकि बैठक में पार्टी के बड़े चेहरे ही शामिल होते है, ऐसे में यदि अगर कल तक भुवन चंद्र खंडूरी को कोर ग्रुप की बैठक के लिए बुलावा नहीं भेजा जाता है तो यह समझ लिया जाएगा कि अब भाजपा के लिए वास्तव में खंडूरी जरूरी नहीं है।