केदारनाथ धाम के गर्भगृह को स्वर्ण मंडित कराने को लेकर उठे विवाद पर उत्तराखंड शासन के आदेश के बाद गढ़वाल आयुक्त ने जांच की। जांच रिपोर्ट में गढ़वाल आयुक्त ने बड़े खुलासे किये हैं।
BKTC ने ना सोना खरीदा, ना लगवाया : पांडेय
गढ़वाल आयुक्त विनय शंकर पांडेय ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति (BKTC) ने न तो सोना खरीदा और न ही अपने स्तर से लगवाया। समिति ने केवल दानदाता की ओर से मिले प्रस्ताव पर शासन के निर्देशानुसार सहयोग किया। दरअसल, RTI कार्यकर्ता अनिल सेमवाल ने गर्भगृह को स्वर्ण मंडित करने की प्रक्रिया को लेकर पर्यटन और धर्मस्व विभाग से जानकारी मांगी थी। इस पर विभाग ने उन्हें जांच रिपोर्ट उपलब्ध कराई।
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रिपोर्ट के अनुसार, जून 2023 में शासन ने गढ़वाल आयुक्त को जांच अधिकारी नियुक्त किया था। जुलाई 2023 में उन्होंने जिलाधिकारियों और बीकेटीसी अधिकारियों के साथ स्थल निरीक्षण किया। जांच में पाया गया कि शासन की स्वीकृति के बाद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग और सीबीआरआई, रुड़की की टीम ने गर्भगृह का निरीक्षण कर इसे मंजूरी दी थी। इसके बाद दानदाता दलीप लाखी की ओर से अधिकृत ज्वैलर्स ने काम शुरू किया।
दानदाता ने अपने अधिकृत ज्वैलर्स से करवाया था काम
इसके बाद दानदाता दलीप लाखी की ओर से अधिकृत ज्वैलर्स ने काम शुरू किया। पहले गर्भगृह में लगी 230 किलो चांदी की प्लेटों को उतारकर सुरक्षित रखा गया। फिर तांबे की प्लेटों पर स्वर्ण बर्क चढ़ाकर उन्हें दिल्ली से घोड़े-खच्चरों के जरिए सुरक्षा में केदारनाथ लाया गया। पुलिस की निगरानी में कारीगरों ने गर्भगृह की दीवारों पर स्वर्ण प्लेटें लगाई। रिपोर्ट में सोने और तांबे का पूरा ब्यौरा भी दर्ज है। रिपोर्ट में सोने और तांबे का पूरा ब्यौरा भी दर्ज है।
दानदाता की ओर से उपलब्ध बिलों के अनुसार, कुल 23.77 किलो सोना और 1001 किलो तांबा इस कार्य में इस्तेमाल हुआ, जिसे मंदिर समिति के स्टॉक रजिस्टर में भी दर्ज किया गया। पर्यटन विभाग के दस्तावेज बताते हैं कि अगस्त 2022 में बीकेटीसी अध्यक्ष ने दानदाता की ओर से मिले प्रस्ताव को शासन तक पहुंचाया था। इसके बाद दानीदाता और समिति के बीच शासन स्तर पर पत्राचार हुआ और शासन की अनुमति से यह कार्य पूरा हुआ।