देहरादून- हमारे इस पहाड़ी राज्य के गढ़वाल में एक कहावत है ‘भिंडी बिराला मुस्सा नि मारदा’ । मतलब ज्यादा बिल्लियां चूहे नहीं मारती। लगता है भाजपा के सामने भी अब यही दिक्कत आन खड़ी हो गई है। आलम ये है कि आलाकमान को कप्तानों की फौज में से उत्तराखंड के लिए एक कप्तान नही सूझ रहा है। जबकि उम्मीद थी कि होली के जश्न के साथ ही सूबे के सूबेदार का ऐलान हो जाएगा।
लेकिन लगता है सूबे में मौजूद तमाम चुनौतियों को देखते हुए भाजपा के भी हाथ-पांव फूलने लग गए हैं कि आखिर कप्तानो की टीम का कप्तान किसे बनाया जाए। हालांकि त्रिवेंद्र रावत, सतपाल महाराज और प्रकाश पंत की दावेदारी सबसे मजबूत दिखाई दे रही है।
खबर है कि आज दिल्ली से भाजपा के पर्यवेक्षक विधायकों का मन टटोलने के लिए देहरादून पहुंच जाएंगे। माना जा रहा है कि प्रचंड बहुमत के बीच सूबे में कप्तानों से सुसज्जित टीम भाजपा का कैप्टन वहीं बनेगा जिसके नाम पर पीएम मोदी और अध्यक्ष अमित शाह दोनों मुहर लगाएंगे।
इस लिहाज से देखा जाए तो तीनों नामों ने आलाकमान को अपनी ओर आकर्षित किया है। तीनों नामों में सबसे मजबूत दावेदारी त्रिवेंद्र रावत की ही मानी जा रही है। उसके बाद सतपाल महाराज और प्रकाश पंत का नाम सामने रखा जा रहा है।
हालांकि हाईकोर्ट में ढैंचा बीच प्रकरण त्रिवेंद्र रावत के राजयोग में रोड़ा दिखाई दे रहा है। जबकि सतपाल महाराज का पूर्व कांग्रेसी होना भाजपा के कई दिग्गजों को अखर रहा है। ऐसे में बौद्धिक और कर्मचारी संगठनों में अच्छी पकड़ रखने वाले प्रकाश पंत का नाम उत्तराखंड के अगले सीएम के तौर पर मजबूती से उभर रहा है। गौरतलब ये है कि चुनाव प्रचार के दौरान प्रकाश पंत के विधानसभा क्षेत्र मे पीएम मोदी ने रैली भी की थी।
लेकिन सबसे बड़ा सवाल ये है कि आखिर प्रचंड बहुमत के बावजूद भाजपा आलाकमान को कप्तान चुनने में इतनी माथापच्ची क्यों करनी पड़ रही है। कहीं ऐसा तो नहीं कि भाजपा आलाकमान को 2007 की सच्ची कहानी याद आ रही हो। तब तो सिर्फ दो क्षत्रप थे जबकि आज तो भाजपा की टीम में कप्तान और खिलाड़ी ज्यादा हैं और फिल्डर कम हैं। देखते है किसकी तकदीर खुलती है। सूत्रों की माने तो शुक्रवार तक सूबे के सीएम के नाम ओपन हो जाएगा।