करवा चौथ वैसे तो एक व्रत है, लेकिन अब इसने एक उत्सव का रूप ले लिया है. यही वजह है कि पहले कुछ जगह तक सीमित रहने वाला यह व्रत अब देश भर में धूमधाम से मनाया जाता है. यूं तो हिन्दू धर्म में सुहागिन महिलाओं के लिए ढेर सारे व्रत है लेकिन करवा चौथ का विशेष स्थान है. इस दिन महिलाएं दिन भर भूखी-प्यासी रहकर अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं. इस दिन पूरे विधि-विधान से माता पार्वती और भगवान गणेश की पूजा-अर्चना करने के बाद करवा चौथ की कथा सुनी जाती है. फिर रात के समय चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही यह व्रत संपन्न होता है. मान्यता है कि करवा चौथ का व्रत रखने से अखंड सौभाग्य का वरदान मिलता है. हर साल की तरह इस बार भी करवा चौथ की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं. इस बार करवा चौथ पर पूरे 70 साल बाद मंगल योग बन रहा है. ज्योतिषियों का कहना है कि साल 2019 के करवा चौथ में रोहिणी नक्षत्र के साथ मंगल का योग है, जिसे बेहद फलदाई माना जाता है.
करवा चौथ कब है?
करवा चौथ का त्योहार दीपावली से नौ दिन पहले मनाया जाता है. हिन्दू पंचांग के अनुसार करवा चौथ का व्रत हर साल कार्तिक मास की चतुर्थी को आता है. इस बार करवा चौथ 17 अक्टूबर 2019 को है.
करवा चौथ की तिथि और शुभ मुहूर्त
करवा चौथ की तिथि: 17 अक्टूबर 2019
चतुर्थी तिथि प्रारंभ: 17 अक्टूबर 2019 (गुरुवार) को सुबह 06 बजकर 48 मिनट से
चतुर्थी तिथि समाप्त: 18 अक्टूबर 2019 को सुबह 07 बजकर 29 मिनट तक
करवा चौथ व्रत का समय: 17 अक्टूबर 2019 को सुबह 06 बजकर 27 मिनट से रात 08 बजकर 16 मिनट तक.
कुल अवधि: 13 घंटे 50 मिनट
पूजा का शुभ मुहूर्त: 17 अक्टूबर 2019 की शाम 05 बजकर 46 मिनट से शाम 07 बजकर 02 मिनट तक.
कुल अवधि: 1 घंटे 16 मिनट.
करवा चौथ की पूजन सामग्री
करवा चौथ के व्रत से एक-दो दिन पहले ही सारी पूजन सामग्री को इकट्ठा करके घर के मंदिर में रख दें. पूजन सामग्री इस प्रकार है- मिट्टी का टोंटीदार करवा व ढक्कन, पानी का लोटा, गंगाजल, दीपक, रूई, अगरबत्ती, चंदन, कुमकुम, रोली, अक्षत, फूल, कच्चा दूध, दही, देसी घी, शहद, चीनी, हल्दी, चावल, मिठाई, चीनी का बूरा, मेहंदी, महावर, सिंदूर, कंघा, बिंदी, चुनरी, चूड़ी, बिछुआ, गौरी बनाने के लिए पीली मिट्टी, लकड़ी का आसन, छलनी, आठ पूरियों की अठावरी, हलुआ और दक्षिणा के पैसे.
करवा चौथ की पूजा विधि?
– करवा चौथ वाले दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान कर लें.
– अब इस मंत्र का उच्चारण करते हुए व्रत का संकल्प लें- ”मम सुखसौभाग्य पुत्रपौत्रादि सुस्थिर श्री प्राप्तये करक चतुर्थी व्रतमहं करिष्ये”.
– सूर्योदय से पहले सरगी ग्रहण करें और फिर दिन भर निर्जला व्रत रखें.
– दीवार पर गेरू से फलक बनाएं और भीगे हुए चावलों को पीसकर घोल तैयार कर लें. इस घोल से फलक पर करवा का चित्र बनाएं. वैसे बाजार में आजकर रेडीमेड फोटो भी मिल जाती हैं. इन्हें वर कहा जाता है. चित्रित करने की कला को करवा धरना का जाता है.
– आठ पूरियों की अठावरी बनाएं. मीठे में हल्वा या खीर बनाएं और पकवान भी तैयार करें.
– अब पीली मिट्टी और गोबर की मदद से माता पार्वती की प्रतिमा बनाएं. अब इस प्रतिमा को लकड़ी के आसान पर बिठाकर मेहंदी, महावर, सिंदूर, कंघा, बिंदी, चुनरी, चूड़ी और बिछुआ अर्पित करें.
– जल से भर हुआ लोट रखें.
– करवा में गेहूं और ढक्कन में शक्कर का बूरा भर दें.
– रोली से करवा पर स्वास्तिक बनाएं.
– अब गौरी-गणेश और चित्रित करवा की पूजा करें.
– पति की लंबी उम्र की प्रार्थना करते हुए इस मंत्र का उच्चारण करें- ”ऊॅ नम: शिवायै शर्वाण्यै सौभाग्यं संतति शुभाम। प्रयच्छ भक्तियुक्तानां नारीणां हरवल्लभे॥”
– करवा पर 13 बिंदी रखें और गेहूं या चावल के 13 दाने हाथ में लेकर करवा चौथ की कथा कहें या सुनें.
– कथा सुनने के बाद करवा पर हाथ घुमाकर अपने सभी बड़ों का आशीर्वाद लें और करवा उन्हें दे दें.
– पानी का लोटा और 13 दाने गेहूं के अलग रख लें.
– चंद्रमा के निकलने के बाद छलनी की ओट से पति को देखें और चन्द्रमा को अर्घ्य दें.
– चंद्रमा को अर्घ्य देते वक्त पति की लंबी उम्र और जिंदगी भर आपका साथ बना रहे इसकी कामना करें.
– अब पति को प्रणाम कर उनसे आशीर्वाद लें और उनके हाथ से जल पीएं. अब पति के साथ बैठकर भोजन करें.