देहरादून। उत्तराखंड न सिर्फ देव भूमि है बल्कि वीर भूमि भी है। कारगिल के युद्ध में उत्तराखंड के वीर जवानों ने अपनी आहूति देकर इस मुल्क की सरहदों की हिफाजत की। कारगिल के युद्ध क्षेत्र में बेहद कठिन परिस्थितियों में उत्तराखंड के वीर सैनिकों ने अपने प्राणों की परवाह न करते हुए दुश्मन सेना के सैनिकों और आतातायियों से मोर्चा लिया। कारगिल का युद्ध क्षेत्र भारत के सैन्य इतिहास में अब तक का खासा दुश्कर युद्ध क्षेत्र माना जाता है। पहाड़ की चोटियों पर दुश्मनों के कब्जा जमाए होने की वजह से उनसे लोहा लेना मुश्किल काम था। भारत को अपनी चोटियों पर फिर से कब्जा करने में खासी दिक्कतें आ रहीं थीं। लेकिन भारत के वीर जवानों ने ये मुश्किल काम भी कर दिखाया।
कारगिल युद्ध में उत्तराखंड के वीर सैनिकों ने भी अपने शौर्य का परिचय दिया। सैन्य प्रदेश के वीर जवानों ने अपने प्राणों को न्यौछावर कर भारत की सीमाओं की रक्षा की। उत्तराखंड के 75 वीर सपूतों ने अपने अदम्य साहस का परिचय दिया और अपनी शहादत देकर भी मुल्क को सुरक्षित रखा।
उत्तराखंड के वीर सपूतों को उनके अदम्य साहस के लिए कई वीरता पुरस्कार भी मिले।
महावीर चक्र – मेजर विवेक गुप्ता, मेजर राजेश अधिकारी।
वीर चक्र – कश्मीर सिंह, बृजमोहन सिंह, अनुसूया प्रसाद, कुलदीप सिंह, एके सिन्हा, खुशीमन गुरुंग, शशिभूषण घिल्डियाल, रूपेश प्रधान व राजेश शाह।
सेना मेडल – तम बहादुर क्षेत्री, हरि बहादुर, मोहन सिंह, नरपाल सिंह, देवेंद्र प्रसाद, जगत सिंह, सुरमान सिंह, डबल सिंह, चंदन सिंह, मोहन सिंह, किशन सिंह, शिव सिंह, सुरेंद्र सिंह व संजय बरशिलिया।
मेंशन इन डिस्पैच – राम सिंह, हरि सिंह थापा, देवेंद्र सिंह, विक्रम सिंह, मान सिंह, मंगत सिंह, बलवंत सिंह, अमित डबराल, प्रवीण कश्यप, अर्जुन सेन, अनिल कुमार।