पिथौरागढ़: 30 जून की आपदा से तबाह हुआ बस्तड़ी के लोगों को अब अपने भविष्य की चिंता सताने लगी है। यहां की महिलाएं तो अपनी माटी से दूर होने को कतई तैयार नहीं हैं। इन महिलाओं का कहना है कि वो नई जगह में न तो समाज को विकसित कर पाएंगी और न उनको अपने पास-पड़ोस जैसा अपनापन मिलेगा। महिलाओं ने कहां कि प्रकृति ने चाहे गांव के साथ बेहद क्रूरता बरती है, लेकिन गांव के पास ही सुरक्षित स्थान पर फिर से नया बस्तड़ी बसाया जाए। महिलाओं ने अपने जीवन के सारे सुख-दुख इसी माटी में झेले हैं। उनके खेत, खलिहान, रिश्ते, नाते सब इसी के आसपास हैं। महिलाओं का कहना है कि मूल बस्तड़ी में तो अब रहने लायक स्थितियां नहीं हैं, लेकिन यदि आसपास की नई जगह पर उनकी व्यवस्था हो तो इस बिखराव को थोड़ा कम किया जा सकता है।