टिहरी: आप सोच रहे होंगे कि लाल बत्ती लगाने और सरकारी कमरे में रहने पर दो साल की सजा कैसे मिल सकती है। खबर बिल्कुल सही है, लेकिन असल मामला यह है कि एक महिला ने 2016 में खुद को जज बताकर खुद ही अपनी गाड़ी पर लाल बत्ती लगाई और सरकारी गेस्ट हाउस में भी रही। इसी मामले में अब सजा सुनाई गई है।
मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत ने आरोपी महिला का दो साल के कठोर कारवास और 25 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई है। जुर्माना जमा नहीं करने पर चार माह का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा। जानकारी के अनुसार 19 जनवरी 2016 को मसूरी रेंज के वन दरोगा दिगंबर सिंह चैहान ने थाना कैंपटी में रिपोर्ट दर्ज कराई थी।
2016 में 19 जनवरी को शाम वन विभाग के धनोल्टी अतिथि गृह में संजीव कुमार भटनागर निवासी नई दिल्ली के साथ पहुंची डा. पूजा ठक्कर निवासी जुहू मुंबई हाल निवासी देहरादून ने स्वयं को जज बताकर कमरा खोलने को कहा। तत्कालीन डीएफओ धीरज पांडे के निर्देश पर महिला को कक्ष संख्या-2 आवंटित किया गया। कक्ष आवंटन के रजिस्टर में भी पूजा ठक्कर ने अपने आप को जज लिखाया। अगले दिन यानि 20 जनवरी को जब वन रेंजर नीलम बड़थ्वाल ने उनसे आईडी मांगा तो वह धमकाने लगी। कैंपटी थाने को सूचना देने पर मौके पर पहुंचे थानाध्यक्ष कैंपटी ने पूछताछ करने के बाद आरोपी महिला को गिरफ्तार कर लिया था।