देहरादून। उत्तराखंड की राजधानी देहरादून के भाऊवाला स्थित बोर्डिंग स्कूल पर उत्तराखंड शासन ने मेहरबानी दिखाते हुए फिर से एनओसी दे दी है.
आपको बता दें कि भाऊवाला स्थित जीआरडी एकेडमी वही स्कूल है जिसमें छात्रा के साथ गैंगरेप हुआ था,14 अगस्त, 2018 को बोर्डिंग स्कूल में पोर्न विडियो देखकर स्कूल के ही चार छात्रों ने एक 16 साल की नाबालिग छात्रा से गैंग रेप किया. कोर्ट में मामले में आरोप सही साबित होने पर 3 नाबालिग छात्रों को पॉक्सो कोर्ट ने तीन-तीन साल की सजा सुनाई और बालिग छात्र सरबजीत को 20 साल की सजा दी.इस गैंग रेप की शिकायत पीड़ित छात्रा ने स्कूल प्रबंधन से की थी लेकिन प्रबंधन ने न सिर्फ इसे छुपाया बल्कि छात्रा पर भी चुप रहने का दबाव डाला. कॉलेज प्रशासन की मिलीभगत से छात्रा का गर्भपात भी करवाया गया था. स्थिति यह थी कि मीडिया में मामला आने तक पीड़िता के घर वाले भी उसके साथ हुए जघन्य अपराध से अनजान थे.पॉक्सो कोर्ट ने आपराधिक षड्यंत्र में स्कूल के तत्कालिक प्रिसिंपल जितेंद्र शर्मा को तीन साल की सजा सुनाई। स्कूल की निदेशक लता गुप्ता, मुख्य प्रशासनिक अधिकारी दीपक और उसकी पत्नी तनु को 9-9 साल कैद की सजा सुनाई।
भाऊवाला स्थित बोर्डिंग स्कूल में हुए जघन्य अपराध के बाद कोर्ट का फैसला आने से पहले ही उत्तराखंड शासन ने जीआरडी एकेडमी की एनओसी को बहाल कर दिया जिसे उत्तराखंड शासन ने छात्रा के साथ हुए बलात्कार के बाद निरस्त कर दिया था। यानी उस स्कूल को उत्तराखंड शासन को मान्यता देने में कोई दिक्कत नहीं हुई जिसमें छात्रा के साथ बलात्कार हुआ। छात्रा को बेशक कोर्ट से न्याय 3 फरवरी 2020 को मिला हो लेकिन 19 नवम्बर 2019 को शासन ने स्कूल को नाॅन आँब्जेक्शन सार्टिफिकेट यानी एनओसी दे दी।
ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर उत्तराखंड शासन को उस छात्रों को न्याय मिलने से पहले क्या जल्दी पड़ी थी कि शासन ने स्कूल नाॅन आँब्जेक्शन सार्टिफिकेट दे दिया गया। उत्तराखंड शासन ने जीआरडी स्कूल को मान्यता देने के साथ ही कई विशेष दिशा निर्देश भी स्कूल को दिए हैं। उत्तराखंड शासन ने मान्यता मिलने के बाद अब स्कूल सीबीएसई बोर्ड से मान्यता के लिए आवेदन करेगा जिसे छात्रा के साथ हुए गैंगरेप के बाद सीबीएसई बोर्ड ने भी निरस्त कर दिया था।