देहरादून- शीशमबाड़ा में केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल (CRPF ) की 58 बीघा से अधिक जमीन पर बसी अवैध बस्ती पर आखिरकार प्रशासन की जेसीबी चल ही गई। प्रशासन और पुलिस की संयुक्त टीम ने अवैध निर्माण तोड़ने का काम शुरू किया
दरअसल शीशमबाड़ा के मलिन नई बस्ती में राज्य सरकार ने सीआरपीएफ को करीब 58 बीघा जमीन आवंटित की थी। मगर सिस्टम के नकारापन से सीआरपीएफ जैसे पुलिस बल को आंवटित जमीन पर नजायज कब्जे हो गए। पहले झोपड़ियां बनी और फिर धीरे-धीरे पक्के मकान बनने लगे। बावजूद इसके प्रशासन तमाम सहूलियतों के बाद भी कुंभकर्णी नींद में सोया रहा।
लेकिन जब सीआरपीएफ ने अपनी जमीन के बारे जिक्र किया तब दून प्रशासन को होश आया और जमीन पर आबाद कब्जेदारों को आनन-फानन में अक्टूबर महीने में नोटिस भेजे गए। इसके तहत प्रशासन ने 320 घरों को नोटिस देकर अवैध कब्जे को खाली करने को कहा लेकिन कब्जेदारों ने सरकारी नोटिस को हल्के में लिया और इलाके को अतिक्रमण मुक्त नहीं किया।
लिहाजा सरकारी जमीन पर किए गए अवैध निर्माण को हटाने के लिए सुबह भारी पुलिस बल शीशमबाड़ा पहुंची। देहरादून जिला प्रशासन और विकासनगर तहसील प्रशासन ने सुबह 9:00 बजे अवैध कब्जे हटाने की कार्यवाही शुरू की। प्रशासन ने जेसीबी लगाकर अवैध निर्माण कर बनाए गए भवनों को तोड़ डाला।जिससे लोगों में हड़कंप मच गया।
बताया जा रहा है कि सीआरपीएफ की जमीन पर आबाद नजायज बस्ती में कुछ ऐसे लोग भी रह रहे थे जिन्होंने पहले खुद कब्जा किया और बाद में अपने रिश्तेदारों को बुलाकर यहां कब्जा करवाया। गजब की जानकारी तो ये है कि अवैध कब्जाधारियों में कई ऐसे लोग भी हैं जो यहीं रह कर प्रॉपर्टी डीलिंग का काम करते है। यह लोग संगठित तरीके से गरीबों को ऐसी जमीन कब्जा करवाते थे और फिर उनसे वहां बसने के बदले रकम ऐंठते थे ।
बहरहाल बड़ा सवाल ये है कि प्रशासन सरकारी जमीनों की हिफाजत के प्रति इतना लापरवाह क्यों रहता है, किसी साजिश के चलते या फिर अपने लचर रवैए की वजह से?