जिसकी उम्मीद जवान के परिवार समेत पूरे उत्तराखंड को थी वो आज टूट गई लेकिन जवान की पत्नी की उम्मीद आज हाथ में एक पत्र आने के बाद भी नहीं टूटी है। आइये आपको बताते हैं क्या है मामला.
गौर हो कि 8 जनवरी 2020 को उत्तराखंड का जवान हाल निवासी देहरादून(अंबीवाला) और मूल निवासी चमोली के रहने वाले 11वीं गढ़वाल रायफल के जवान राजेंद्र नेगी ऑन डयूटी गुलमर्ग में अपनी पोस्ट से लापत हो गए थे। तब से लेकर अब तक परिवार वाले और उत्तराखंड के लोग आस लगाए बैठे थे कि देवभूमि का लाल जरुर मिलेगा लेकिन वो आस अब टूट गई है। जी हां हवलदार राजेन्द्र सिंह नेगी को आखिरकार भारतीय सेना ने बैटल कैजुअल्टी मानते हुए शहीद घोषित कर दिया है। बकायदा सेना ने एक पत्र शहीद की पत्नी को दिया है जिसमे पति को ऑन ड्यूटी कैजुअल्टी मानते हुए शहीद घोषित होने की बात लिखी गई है। सेना ने राजेंद्र नेगी को शहीद का दर्जा दे दिया है।
पत्नी को है आस
लेकिन पत्नी को इस पर भरोसा नहीं है कि उसका पति शहीद हो गया है. पत्नी को अभी भी उम्मीद है कि उसका पति ड्यूटी में है और वो जरुर लौटेंगे। पत्नी ने सेना से औऱ सरकार से साफ कहा कि वो जब तक उन्हें उनकी बॉडी नहीं मिलेगी वो नहीं मानेंगी की पति राजेन्द्र सिंह नेगी शहीद हो गए हैं। पत्नी अभी भी उम्मीद में है कि उसका पति जिंदा है। एक जवान की पत्नी औऱ जवान के बच्चों परिवार वालों के सवालों का जवान किसी के पास नहीं है।
8 जनवरी को पाक सीमा पर गुलमर्ग में ड्यूटी के दौरान लापता हुआ था जवान
आपको बता दें कि राजेंद्र सिंह नेगी मूल रुप से चमोली के रहने वाले हैं लेकिन उनकी पत्नी और बच्चे देहरादून के अंबीवाला में रहते हैं। जवान का घर देहरादून में है। बेटे के लापता होने की खबर सुन बूढ़े पिता और किसान भाई देहरादून पहुंचे। पिता के चेहरे पर चिंता की लकीरें साफ दिखी। 8 जनवरी को पाक सीमा पर गुलमर्ग में जवान ड्यूटी पर तैनात थे. सेना ने कहा कि ड्यूटी के दौरान पैर फिसलने से वो पाक की ओर जा गिरे और लापता हो गए. सेना ने दावा किया कि उन्होंने जवान को ढूंढा लेकिन वो नहीं मिले।
बुजुर्ग पिता रतन सिंह नेगी और मां के चेहरे पर चिंता की लकीरें
वहीं सैनिक की सकुशल वापसी का इंतजार कर रहे परिवार के लिए इस सन्नाटे में एक-एक पल बिताना मुश्किल हुआ। हवलदार के बुजुर्ग पिता रतन सिंह नेगी और मां परेशान से बैठे थे। वे बेटे से जुड़ी अच्छी खबर आने की राह देख रहे थे। टीवी हर समय ऑन कर यहीं उम्मीद जताते कि कब उनकी बेटे की खबर आएगी को वो अभिनंदन क तरह स्वदेश लौट गए हैं वो भी सही सलामत। हवलदार की पत्नी राजेश्वरी देवी आज भी मांग में सिंदूर लगाए है। माथें पर बिंदी और हाथों में चूड़ियां पहने हैं। वो कैसे मान ले कि उसका पति शहीद हो गया है।
जब सेना को ढूंढने पर भी हवलदार राजेंद्र सिंह नेगी नही मिले तो अंत में सेना ने 21 मई 2020 को बैटल कैजुअल्टी मान लिया था।
नेता राजनीति करने खूब आए लेकिन किसी ने कभी नही ली राजेन्द्र की सुध-परिवार
हवलदार राजेन्द्र के चाचा रघुवीर नेगी का कहना है कि नेता तो राजनीति करने खूब आए, लेकिन उसके बाद किसी ने कभी राजेन्द्र के बारे में सुध नहीं ली। बताया कि जब भी यूनिट में फ़ोन करते तो जवाब सही नहीं मिलता। आरोप लगाया कि इधर से राज्य सरकार ने भी अपने लापता हुए नागरिक के लिए कोई सफल कोशिश नहीं की। सरकार और प्रशासन से मदद नहीं मिलने से परिवार वालों में आक्रोश है।
मेरे पति ड्यूटी पर हैं-जवान की पत्नी
लेकिन जवान राजेन्द्र की शहादत को उनकी पत्नी मानने को तैयार नहीं है। उनका कहना है कि उनके पति ड्यूटी पर ही हैं। जब तक उन्हें उनकी बॉडी नहीं मिलेगी वो नहीं मानेंगी की पति राजेन्द सिंह नेगी शहीद हो गए हैं। जवान को शहीद तो घोषित कर दिया लेकिन जवान के परिवार वालों के सवालों का जवाब कौन और कब देगा ये बड़ा सवाल है।