दिल्ली में सीएए के विरोध की आग विरोध एक भयावह शक्ल में तब्दील हो चुका है। दिल्ली में फिर से गाड़ियां फूंकी गईं, पत्थरबाजी की गई, लाठीचार्ज हुआ और हेड कॉन्स्टेबल रतन लाल की जान चली गई। मौत के बाद रतन लाल की जिंदगी के तमाम किस्से, बच्चों से वादे, उनका घर-परिवार सब एक लंबी खामोशी में डूब गया है। बता दें जांबाज रतन विंग कमांडर अभिनंदन वर्धमान के फैन थे औऱ उनके स्टाइल को फॉलो करते थे।
विंग कमांडर अभिनंदन के थे फैन
पिछले वर्ष 27 फरवरी को हेड कॉन्स्टेबल रतन लाल अपने साथियों और वरिष्ठ लोगों के साथ अपनी मूंछों को लेकर बात करते थे।क्योंकि उनकी मूछें भी विंग कमांडर अभिनंदन वर्धमान की तरह हैं। उन्होंने अपने बच्चों से वादा किया था कि इस बार वे सभी अपने गांव टीहावाली में होली मनाएंगे। महज दस दिन पहले बच्चों ने अपना पिता खो दिया।
पीछे तीन बच्चों और पत्नी को छोड़ गए
बता दें कि रतन लाल ने साल 1998 में बतौर कॉन्स्टेबल दिल्ली पुलिस में भर्ती हुए थे औऱ वर्तमान में गोकुलपुरी में तैनात थे। राजस्थान के सीकर में एक सामान्य परिवार में जन्मे रतन लाल अपने तीन भाई-बहनों में सबसे बड़े थे। उनके तीन बच्चे हैं।दो बेटियां और एक बेटा। वो अपने बच्चों औऱ पत्नी के साथ नॉर्थ दिल्ली के बुराड़ी में रहते थे। जिनका पुलिस कमिश्नर से एक ही सवाल है कि आखिर मेरे पापा का क्या दोष था?
रतन लाल ने किसी के पैसों से चाय तक नहीं पी थी-साथी
बता दें कि रतन लाल को उनके साहस के लिए जाना जाता था। वह गोकुलपुरी पुलिस की ओर से की गईं कई छापेमारी का हिस्सा भी रहे। लाल कुछ वर्षों से अडिशनल डीसीपी ब्रजेंद्र यादव को रिपोर्ट कर रहे थे। उनके साथियों ने बताया कि आज तक रतन लाल ने किसी के पैसों से चाय तक नहीं पी थी। वो बेहद ईमानदार था। बताया कि वो एसीपी का रीडर था, उस दिन वो ऐसे ही साथ के लिए एसीपी के साथ चला गया और वहां हिंसा का शिकार हो गया। इस घटना में एसीपी भी जख्मी हो गए हैं।
एक माह पहले आए थे गांव, मां को नहीं दी अब तक खबर
रतन के छोटे भाई ने बताया कि वो एक जांबाज देशभक्त थे। वह हमेशा इस वर्दी के लिए खुद को कुर्बान करना चाहते थे। हमने उन्हें कभी चीखते या लोगों पर चिल्लाते हुए नहीं सुना था। एक महीने पहले जब एक रिश्तेदार की मौत हो गई थी तभी वह गांव आए थे। बेटे की मौत की ख़बर अबतक मां को नहीं दी गई है।