चमोली- जाख नंदा-अष्टमी मेला इस बार ऐतिहासिक रहा। मेले में इस बार किसी बेजुंबा जानवर की बलि नहीं दी गई। सदियों से चली आ रही बलि प्रथा पर इस बार रोक लगने से मेले के इतिहास में एक नया पन्ना जुड़ गया है। गौरतलब है कि चमोली जिले के दशोली विकासखंड की ग्राम पंचायत लासी के प्रसिद्ध जाख नंदा अष्टमी में आज से पहले हर बार बेजुबां निरीह भैंसे की बलि दी जाती थी लेकिंन इस बार इलाके के सभी 9 गांवों के श्रद्धालुओं ने इस प्रथा पर मंदिर समिति की मध्यस्थता के बाद प्रशासन के सुझाव पर बलि प्रथा पर रोक लगाने से सहमत हो गए। भक्तों ने पूजा-अर्चना के बाद चढ़ावे का भैंसा प्रशासन को सौंप दिया।
जाख मंदिंर में गुरूवार को आयोजित मेले में क्षेत्र के सभी नौ गांवों के ग्रामीणोंं नें देवी-देवताओं के साथ बड़ी संख्या में भाग लिया। सभी गांवों से आए देवी भक्तों नें जाख मंदिर में पूजा-अर्चना के बाद खुशहाली की मन्नत मांगी। सदियों से चली आ रही बलि प्रथा पर इस बार प्रशासन रोक लगाने में कामयाब रहा। हालांकि कुछ ग्रामीणों ने इसका विरोध भी किय़ा लेकिन बहुमत और मंदिर समिति के सदस्यों की सहमति से अाखिरकार मामला बन ही गया और एक निरीह जानवर की जान बच गई। माना जा रहा है कि आने वाले भविष्य में भी इस मेले में बेजुंबा जानवर की बलि प्रथा पर दूसरे मंदिरों की तरह रोक लग जाएगी। दरअसल अब राज्य के तकरीबन सभी धार्मिक मेलों में यह रिवाज लगभग खत्म हो गया है।