देहरादून : एनएच घोटाले पर बड़ी कार्रवाई करते हुए उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने दो आईएएस अफसरों पर निलंबन की कार्यवाही की है। सरकार के इस कदम की तारीफ की जानी चाहिए । मुख्यमंत्री ने जीरो टॉलरेंस के वचन के अनुरूप यह फैसला लिया है, इसके दूरगामी परिणाम सामने आएंगे।
निरंकुश अफसरों के चंगुल में चल रहे राज्य की छवि भी बदलेगी और उन ईमानदार अफसरों का मनोबल बढ़ेगा जो पूरी निष्ठा के साथ जनता के हर सुख दुख में समर्पित हैं। देश की सबसे बड़ी सेवा ( आईएएस ) के उस अहंकार को भी सबक मिलेगा, जो सिस्टम को अपनी जेब में रखने की गलतफहमी पाले बैठे हैं।
अभी तक घपले घोटालों की जांच को लेकर प्रदेश में अनेक आयोग बने। घोटाले राजनीतिक मुद्दे बने। इन मुद्दों पर सरकारें आयी और गई, किसी का कुछ नहीं बिगड़ा। जनता की जनता के मन में यह बात घर कर गई थी कि भ्रष्टाचार के मामलों में छोटी मछली ही फंसेगी बड़ों का कुछ नहीं होगा।
सरकार गठित होते ही मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कार्रवाई शुरू की पहले पीसीएस रैंक के अफसरों पर निलंबन की कार्रवाई हुई और अब दो आईएएस अफसरों पर कार्रवाई करके त्रिवेंद्र सरकार ने अपने मंसूबे स्पष्ट किए कि भ्रष्टाचार पर उनका जीरो टॉलरेंस जारी रहेगा।
एक उम्मीद जगी है कि प्रचंड बहुमत की सरकार जिस पर डेढ़ वर्ष के कार्यकाल में भ्रष्टाचार का कोई भी आरोप नहीं है। उस सरकार ने, वर्षों से चल रहे नौकरशाहों और दलाली के उस भ्रष्ट सिंडिकेट को धराशाई करने का काम किया है जिस सिंडिकेट के सामने अब तक नेताओं की समर्पण मुद्रा और चुप्पी हाथ जोड़े खड़ी रहती थी। अभी शुरुआत हुई है, उम्मीद है की अनेक गड़े मुर्दे और उखड़ेंगे।
मुख्यमंत्री रावत ने जिस तरह भ्रष्टाचार के विरुद्ध अपने अभियान में एनएच मामले में पीसीएस अफ़सरों के बाद अब आईएएस अफसरों पर गाज गिराई है, उन्हें प्रदेश ही नहीं, पूरे देश से प्रशंसा मिल रही है। राष्ट्रीय मीडिया ने भी मुख्यमंत्री के इस कदम को प्रमुखता से स्थान दिया है।
यह अभियान जारी रहे, मुख्यमंत्री के साथ उनकी कैबिनेट को भी अपने विभागों में ऐसे मामले ढूंढने चाहिए और कार्रवाई करनी चाहिये। ताकि नौकरशाहों में सिस्टम के प्रति जवाबदेही का भाव जगे। इस दिशा में मुख्यमंत्री का यह कड़ा निर्णय मील का पत्थर साबित होगा।