गोरी घाटी में दुर्लभ काला बंदर फिर से दिखाई दिया है। बंदरों की यह प्रजाति लुप्त होने की कगार पर है। बताया जाता है कि कि गोरी घाटी में इन बंदरों की संख्या अब 20 से 30 तक ही सिमट कर रह गई है। इन बंदरों को बचाने के लिए वन विभाग के अधिकारी ने प्रयास शुरू किया है और उनको बचाने के लिए शोध की जरूरत बताई।
अप्रैल माह में हन्द्वानी से विशेषज्ञों की टीम ने गोरी घाटी में जाकर इन बंदरों पर जानकारियां हिसाल की हैं। दरअसल, राज्य में मिलने वाले बंदरों से ये कुछ अलग दिखने के कारण खास है। दरअसल, बंदर को अलग से कोई नाम नहीं दिया गया है, लेकिन इनको कभी स्थानीय लोग काला बंदर कहते हैं। संजीव चतुर्वेदी ने बताया कि इनकी संख्या करीब 25 से 30 के बीच है। इनमें बच्चों की संख्या कम है। इनको पहले भी देखा जा चुका है, लकिन इनके बारे में कोई खास जानकारी फिलहाल उपलब्ध नहीं है।
काला बंदर रीसस मकाक देखने में थोड़े अलग हैं। आकार और संरचना में यह असम रीसस से मिलता है। इसकी जबड़े की बनावट असम रीसस से अलग है। काला बंदर मध्यम आकार, भूरे सुनहरे रंग, ऊपरी और निचला भाग चॉकलेटी रंग का है। पूरे शरीर पर सफेद फर है। इनका जबड़ा हल्का बाहर की ओर निकला है। नर के चेहरे का रंग गहरा और आंखों के चारों ओर हल्का है। मादा की आंखों के चारों ओर लाल रंग का घेरा बना है। मुंह और नाक के चारों ओर गुलाबी रंग की त्वचा होती है। इनकी पीठ पर छोटा सा कूबड़ निकला है। कान तिकोने व बाल रहित हैं। इनकी पूंछ की लंबाई शारीर के एक तीन चैथाई है।