अमेरिका और ईरान के बीच भले ही औपचारिक जंग का एलान नहीं हुआ हो, लेकिन जंग तो शुरू हो ही चुकी है। पहले अमेरिका ने ईरान के कमांडर को मार गिराया। अब ईरान ने अमेरिकी सैन्य ठिकानों पर हमला कर 80 लोगों को मारगिराने का दावा किया है। वीडियो भी जारी किया है। इस तनाव का पूरी दुनिया पर असर पड़ने वाला है। केवल तनाव नहीं दुनिया तीसरे विश्व युद्ध की ओर बढ़ती दिख रही है। जानकार मानकर चल रहे थे कि अगर अगर ईरान अमेरिका पर कोई जवाबी कार्रवाई करता है, तो तीसरे विश्व युद्ध का आगाज हो सकता है। ईरान ने उस आशंका का सच साबित कर दिया। अब अमेरिका की ओर निगाहें हैं। अगर अमेरिका फिर से हमला करता है, तो इतिहास गवाह है कि पहले भी ऐसी ही कुछ चिंगारियों की वजह से विश्व युद्ध की आग भड़की थी। फिर दूसरा विश्व युद्ध और अब फिर से वैसी ही चिंगारी भड़क कुची है। जिससे तीसरे विश्वयुद्ध की आशंका जोर पकड़ रही है…।
पहला विश्व युद्ध : ऐसे भड़की थी जंग की चिंगारी
- 28 जून 1914, ऑस्ट्रिया के राजकुमार फर्डिनेंड और उनकी पत्नी की बोस्निया में हत्या कर दी गई
- ठीक एक महीने बाद 28 जुलाई 1914 को ऑस्ट्रिया-हंगरी ने सर्बिया के खिलाफ जंग का एलान कर दिया।
- जल्द ही रूस, फ्रांस और ब्रिटेन सर्बिया की मदद के लिए आगे आ गए जबकि ऑस्ट्रिया का साथ देने जर्मनी आगे आ गया।
- अगस्त महीने में जापान ब्रिटेन के साथ उस्मानिया जर्मनी के साथ जंग में शामिल हो गया।
- इस युद्ध को THE GREAT WAR कहा गया क्योंकि इससे पहले किसी ने ऐसी कल्पना नहीं की थी।
चार साल तक लड़े 37 देश
- पहला विश्व युद्ध करीब चार साल तक चला। 28 जुलाई 1914 को शुरू हुआ युद्ध 11 नवंबर 1918 को खत्म हुआ।
- अमेरिका शुरू में तो इस युद्ध में शामिल नहीं था, लेकिन 6 अप्रैल, 1917 को वह भी जर्मनी के खिलाफ युद्ध में कूद पड़ा।
- पहले विश्व युद्ध में 37 देशों ने हिस्सा लिया और इसमें एक करोड़ से ज्यादा लोगों की जान गईं।
- यह महायुद्ध यूरोप, एशिया व अफ्रीका और जल, धरती और आकाश में लड़ा गया
74 हजार भारतीय सैनिक शहीद
- पहले विश्व युद्ध में जर्मनी को उम्मीद थी कि भारत ब्रिटेन की ओर नहीं लड़ेगा
- मगर ब्रिटेन से आजादी मिलने की उम्मीद में भारत ने अंग्रेजों का साथ दिया
- करीब 11 लाख भारतीय सैनिक इस जंग में ब्रिटेन की ओर से लड़े
- इनमें से करीब 74 हजार भारतीय सैनिकों ने अपने प्राणों की आहूति दे दी जबकि हजारों घायल हो गए
दूसरा विश्व युद्ध की पूरी कहानी
- दूसरे विश्व युद्ध की नींव दरअसल पहले महायुद्ध के खत्म होने के साथ ही पड़ गई थी
- कई कारणों ने मिलकर जंग का माहौल बना दिया। मसलन हिटलर का उदय, वर्साय की अन्यायपूर्ण संधि और निशस्त्रीकरण
- वर्साय की संधि में मित्र राष्ट्रों ने जर्मनी के साथ गलत व्यवहार किया। उससे सारे उपनिवेश भी छीन लिए गए
- इटली जर्मनी तथा जापान महायुद्ध के पश्चात की व्यवस्थाओं से असंतुष्ट थे
- जर्मनी, जापान जैसे देशों में आर्थिक संकट भी युद्ध की बड़ी वजह बना। दुनिया में बेरोजगारी और भुखमरी बढ़ने लगी।
हिटलर के हमले से हुआ युद्ध
- 1 सितंबर 1939 को जर्मनी के तानाशाह हिटलर ने पोलैंड पर हमला कर दिया।
- जवाब में इंग्लैंड ने जर्मनी के खिलाफ युद्ध की घोषणा कर दी। कुछ ही घंटे में उसे फ्रांस का भी साथ मिल गया।
- 61 देशों ने इस युद्ध में हिस्सा लिया और यह छह साल तक 2 सितंबर 1945 तक चला
- 1941 में सोवियत संघ ने जर्मनी की सेना को वापस लौटने पर मजबूर कर दिया
- 1944 में पहले इटली और फिर 1945 में जर्मनी को हार माननी पड़ी
- बाद में जर्मनी के तानाशाह हिटलर ने खुद को गोली मार ली
- इस युद्ध के परिणाम पहले से भी ज्यादा भयावह निकले। इसमें करीब 6 करोड़ लोग मारे गए
हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु हमला
- 6 और 9 अगस्त 1945 को अमेरिका ने जापानी शहर हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु हमला कर दिया
- परमाणु हमले के बाद जापान ने भी घुटने टेक दिए। इसके साथ ही द्वितीय विश्वयुद्ध का अंत हो गया।
- मगर इसके साथ ही परमाणु युग की शुरुआत हो गई, जो मानवता के लिए सबसे बड़ा खतरा बन गई
भारत पर असर :
- ब्रिटेन समेत मित्र राष्ट्रों के लिए भारत के करीब 25 लाख सैनिकों ने भाग लिया।
- यह समय वह था जब भारत में स्वतंत्रता आंदोलन अपने चरम पर था
- कांग्रेस के कई सदस्यों ने 1939 में भारत को जबरन युद्ध में शामिल करने के विरोध में इस्तीफा दे दिया
- इसके बाद भारत छोड़ो आंदोलन शुरू हुआ, जिसके बाद अंग्रेजों को भारत छोड़कर जाना पड़ा।
दूसरे विश्व युद्ध के परिणाम
- राजनीतिक आर्थिक दृष्टि से यूरोप का महत्व कम हो गया
- इनके स्थान पर अमेरिका और रूस के रूप में दो महाशक्तियों का उदय हुआ
- जर्मनी का विभाजन कर उसे पूर्वी व पश्चिमी जर्मनी में बांट दिया गया
- विश्व युद्ध के बाद साम्राज्यवादी और उपनिवेशवादी शक्तियां कमजोर पड़ गईं
- इसी वजह से भारत, श्रीलंका, मिस्त्र समेत कई देशों को आजादी मिली
- जंग के बाद आजादी पाने वाले नए देशों ने खुद को अलग रखते हुए गुट निरपेक्ष आंदोलन की नींव रखी
- 1945 मित्र राष्ट्रों ने संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना की