आशीष तिवारी। उत्तराखंड में भ्रष्टाचार के खिलाफ त्रिवेंद्र रावत का धर्मयुद्ध गर्मियों की दोपहरी में कुछ सुस्त सा पड़ता नजर आ रहा है। देहरादून में डबल इंजन की सरकार में गेयर बदलने का काम भी दिल्ली से होता दिखायी दे रहा है। वैसे खबर ये है कि एनएच 74 के मुआवजे घोटाले की प्राथमिक जांच करने वाले अधिकारी को फिलहाल बड़ी खूबसूरती से निबटा दिया है। निबटा कैसे दिया है ये खुलासा बाद की लाइनों में करेंगे लेकिन आपको बता दें कि राज्य के तेज तर्रार अफसरों में गिने जाने वाले डी सैंथिल पांडियन से कुमाऊं कमिश्नर का दायित्व ले लिया गया है। ये वही सैंथिल पांडियन हैं जिनके बगल में तन कर बैठने के बाद मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने एनएच 74 मुआवजे घोटाले की सीबीआई जांच का ऐलान किया था। सैंथिल पांडियन को इस मामले की जांच करने का काम हरीश रावत ने अपने मुख्यमंत्रित्वकाल के अंतिम समय में सौंपा था। सैंथिल पांडियन की जांच रिपोर्ट जब सामने आई तो सरकार बदल चुकी थी। सैंथिल पांडियन ने अपनी रिपोर्ट नए मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत को सौंपी। रिपोर्ट के आधार पर तत्कार कार्रवाई करते हुए नए मुख्यमंत्री ने छह अधिकारियों को निलंबित कर दिया। सैंथिल पांडियन की ही जांच के आधार पर सीबीआई जांच का ऐलान भी हो गया।
अब ये समझना जरूरी है कि सैंथिल पांडियन को भेजा कहां गया। हालिया स्थानांतरण में सैंथिल को परिवहन आयुक्त का प्रभार दिया गया है। यहीं से सैंथिल पांडियन को निबटाने की आशंका प्रबल होती है। दरअसल परिवहन मंत्री यशपाल आर्या हैं। सूत्रों की माने तो एनएच 74 निर्माण में हुए मुआवजे घोटाले में यशपाल आर्या और उनकी कुछ करीबियों की भूमिका पर सवाल उठने की आशंका है। अब जब सैंथिल पांडियन को यशपाल आर्या के विभाग में भेज दिया गया है तो ये माना जा रहा है कि ये एक तरह की प्रेशर टैक्टिक हो सकती है। फिलहाल इस मसले में अभी कई दिलचस्प मोड़ आने बाकी हैं। खबरें ये भी हैं एनएचए के अधिकारियों को क्लीन चिट देने के बाद कुछ सफेदपोशों के हिस्से में आ रहे घोटाले के छीटों को दिल्ली से देहरादून आते जाते चुपचाप कुछ छोटे अधिकारियों पर डाल दिया जाएगा।