दिल्ली में अस्पताल प्रबंधन की बड़ी लापरवाही सामने आई। अस्पताल वालों ने दो शवों की अदला बदली कर दी जिससे एक ही शव को दो बार दफनाया गया। सारा लफड़ा नाम के कारण हुआ. मोइनुद्दीन की डेड बॉडी ‘मइनुद्दीन’ के परिवार को गलती से दे दी। एक शख्स भाई का शव ढूंढता रहा और किसी और ने पिता समझकर उसे दफना दिया।
युवक निकला कोरोना पॉजिटिव
दरअसल जामा मस्जिद क्षेत्र निवासी अमीनुद्दीन के अनुसार उसके भाई नईमुद्दीन(50 साल) को इलाज के लिए 2 जून को दिल्ली के लोकनायक अस्पताल में भर्ती कराया गया था। जिसकी बीपी की समस्या थी साथ ही सांस लेने में प्रोब्लम हो रही थी। शाम 4 बजे मरीज को भर्ती किया गया औऱ रात को उनकी मौत हो गई। वहीं शव का सैंपल लेकर मोर्चरी में रखा गया। 6 जून को मृतक की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई।
नईमुद्दीन नाम के दो शव
वहीं जब मृतक का भाई भाई का शव लेने मोर्चरी गया तो शव नहीं मिला। इसके बाद पूरे अस्पतल वालों ने भी कहा कि शव नहीं मिल रहा है। रविवार को भी शव नहीं मिला। जांच के बाद पता चला कि अस्पताल में नईमुद्दीन नाम से उस दिन दो शव थे। इसमें एक मुईनुद्दीन के भाई की, जबकि दूसरी पटपड़गंज निवासी व्यक्ति की थी।
अस्पताल प्रबंधन की तरफ से उनके भाई का शव पटपड़गंज निवासी नईमुद्दीन के परिजन को सौंप दिया गया था। बाद में पता चला कि उन लोगों ने शव को दिल्ली गेट स्थित कब्रिस्तान में दफना दिया है। वहीं इससे परिवार वालों ने लापरवाही का आरोप लगाते हुए पुलिस में शिकायत की तो अस्पताल प्रबंधन ने बोला कि इस बारे में फोरेंसिक विभाग का कहना है कि शव की पहचान परिजन को करनी होती है।
मधु विहार में रहने वाले कमालुद्दीन के पिता 65 साल के मइनुद्दीन को 2 जून को सांस लेने में दिक्कत होने पर लोकनायक अस्पताल में भर्ती कराया गया. 6 जून को सूचना मिली कि उनकी मौत हो गई है. कमालुद्दीन मोर्चरी में जब शव की पहचान करने गए तो देखा कि वो क्लीन शेव थे, चेहरा सूजा हुआ था, हालांकि कमालुद्दीन के पिता की दाढ़ी थी, लेकिन परेशानी में दिमाग ने काम नहीं किया और इन्होंने ज़्यादा पूछताछ न करते हुए, डेडबॉडी को दफना दिया.
पटपड़गंज निवासी लोगों ने नाम सुनकर गलत शव की पहचान कर ली थी। अभी स्टाफ भी लगातार ड्यूटी से परेशान हैं और परिजन भी कोरोना से डरे हुए हैं। यह वजह थी कि अब सीसीटीवी कैमरे के नीचे शव की पहचान कराई जाएगी।