देहरादून- एक कार्यक्रम में संबोधित करते हुए राज्यपाल डॉ. कृष्ण कांत पाल ने कहा है कि जलवायु परिवर्तन के नकारात्मक प्रभावों को कम करने के लिए खेती के नए तौर तरीकों को अपनाना होगा। किसानों को कृषि से संबंधित वैज्ञानिक जानकारियां प्रदान करनी होंगी। खेती से संबंधित जानकारियों को कृषि विश्वविद्यालयों, संस्थानों व सेमीनारों से फील्ड में किसानों तक पहुंचाना सुनिश्चित किया जाए। राज्यपाल डॉ. कृष्ण कांत पाल, एफआरआई में ‘जलवायु अनुकूल पर्वतीय कृषि’ विषय पर आयोजित सम्मेलन के समापन सत्र में सम्बोधित कर रहे थे।
राज्यपाल ने कहा कि पर्वतीय क्षेत्रों के किसानों की आय को दोगुना करने के लिए एकीकृत खेती की अवधारणा को अपनाना चाहिए। इसके तहत खेती के साथ ही पशुपालन, मत्स्य, मधुमक्खी पालन, मशरूम, हॉर्टीकल्चर आदि खेती से संबंधित अन्य संबंधित गतिविधियों को समान रूप से महत्व देना होगा।
राज्यपाल ने कहा कि जलवायु परिवर्तन का प्रभाव समूचे विश्व में देखा जा रहा है। इसलिए हमें अपने तौर तरीकों को बदलते मौसम के अनुसार करना होगा। पर्वतीय क्षेत्रों में भूमि की नमी को बरकरार रखने के लिए वर्षा जल संचयन पर काम करना चाहिए। बीजों की सूखा रोधी किस्में विकसित कर किसानों को उपलब्ध करवाई जाएं। साथ ही किसानों को मृदा परीक्षण के लिए प्रोत्साहित किया जाए।
राज्यपाल ने कहा कि किसानों को आर्गेनिक खेती को अपनाने के लिए प्रेरित करना चाहिए। उन्हें समझनाना होगा कि आर्गेनिक खेती की बाजार में कीमत भी अधिक मिलती है और इस पर लागत भी कम आती है। खेती को लेकर नई सोच विकसित किए जाने की आवश्यकता है।
कृषि एवं उद्यान मंत्री सुबोध उनियाल ने बताया कि राज्य सरकार एकीकृत आदर्श कृषि गांव योजना के तहत प्रत्येक ब्लॉक में एक गांव को मॉडल के तौर पर विकसित करने जा रही है। इसमें प्रत्येक गांव में 1 करोड़ रूपए कृषि इंफ्रास्ट्रक्चर में खर्च किए जाएंगे जबकि 15 लाख रूपए राशि का रिवाल्विंग फंड की व्यवस्था भी होगी। इसमें समूह में खेती पर बल दिया जाएगा। प्रदेश सरकार को आर्गेनिक खेती के लिए 1500 करोड़ रूपए मिले हैं। इससे 5 लाख किसानों को आर्गेनिक खेती में लाया जाएगा। इनके उत्पादों की मार्केटिंग के लिए कारपस फंड बनाया जाएगा। मंडी बोर्ड के माध्यम से उत्पादों की बिक्री उपरांत किसानों तक लाभ की राशि भी पहुंचाई जाएगी। प्रदेश की 670 न्याय पंचायतों में फार्म मशीनरी बैंक स्थापित किए जा रहे हैं। किसानों को नई तकनीकों व सरकार की नीतियों से अवगत कराने के लिए विभागीय अधिकारी प्रत्येक माह चैपाल आयोजित करेंगे।
कार्यक्रम में वरिष्ठ विशेषज्ञ, विश्व बैंक रंजन सामंत्रे, प्रमुख सचिव जलागम प्रबंधन मनीषा पंवार, वन अनुसंधान संस्थान की निदेशक डॉ. सविता सहित अन्य अधिकारी कृषि विशेषज्ञ, कृषि वैज्ञानिक, कृषि उद्यमी, किसान उपस्थित थे।