लॉकडाउन -2 को लेकर केंद्र सरकार ने नए दिशा निर्देश जारी कर दिए हैं। इन दिशानिर्देशों में केंद्र सरकार ने उद्योगों को खोलने की इजाजत दी है। हालांकि इसके लिए कोरोना संक्रमण से बचने के उपाय अपनाने होंगे। उत्तराखंड में भी अब औद्योगिक इकाइयों को खोलने की तैयारी हो रही है लेकिन इस बीच बड़ा सवाल ये खड़ा हो गया है कि क्या इन औद्योगिक इकाइयों को खोलने की इजाजत देना कोरोना संक्रमण को दावत देना तो नहीं साबित होगा?
बड़ी संख्या में हैं उद्योग
उत्तराखंड में तकरीबन चौंसठ हजार से अधिक एमएसएमएई हैं। इसके साथ ही राज्य में 327 बड़े उद्योग स्थापित हैं। इन औद्योगिक इकाइयों में बड़ी संख्या में लोग काम करते हैं। दिशानिर्देशों के मुताबिक इन इकाइयों को फिर से शुरु करने के लिए ऑनलाइन आवेदन मांगे जा रहें हैं। जिलाधिकारियों के जरिए कार्य प्रारंभ करने की अनुमति दी जाएगी। सरकार ने कहा है कि सभी औद्योगिक इकाइयों को कोविड – 19 की SOP (standard operating procedure) के मुताबिक व्यवस्थाएं करनी होंगी। मसलन श्रमिकों का विवरण, शिफ्ट में काम करने वालों की संख्या, उनके आवागमन की जानकारी इत्यादि का विवरण उपलब्ध कराना होगा। इसके अतिरिक्त कार्यस्थल पर भी कोविड – 19 की SOP के तहत सख्त नियमों का पालन करना होगा।
सफलता कहीं…
उत्तराखंड में देहरादून, नैनीताल, हरिद्वार, यूएस नगर, अल्मोड़ा और पौड़ी में कोरोना के मरीज मिल चुके हैं। कोरोना के संक्रमण को रोकने में लगी उत्तराखंड सरकार लॉकडाउन को सख्ती से पालन कराने के दावे कर रही है। हालांकि इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है कि सोशल डिस्टेंसिंग का कई जगहों पर सख्ती से पालन नहीं हो रहा है। कई तस्वीरें सामने आ रहीं हैं जहां सोशल डिस्टेंसिंग के नियम की अवहेलना हो रही है। ऐसे में अगर औद्योगिक इकाइयों से जुड़े श्रमिक सड़कों पर निकले तो कोरोना संक्रमण की आशंका गहरी होगी। आशंका इस बात की भी है कि कहीं ये महामारी उत्तराखंड में तेजी से न फैले क्योंकि सीमित संसाधनों के बीच कोविड -19 की SOP का पालन करा पाना प्रशासन के लिए बेहद मुश्किल होगा। ऐसे में अगर संक्रमण फैला तो इसका जिम्मेदार किसे माना जाएगा? वहीं कहीं ऐसा न हो कि लॉकडाउन -1 में संक्रमण को रोकने में मिली सफलता लॉकडाउन – 2 में विफलता में बदल जाए।