अमेरिका में कई भारतीय प्रवासी रहते हैं जिन्हें गैर-प्रवासी वीजा या लॉन्ग टर्म वीजा मिलता है। वहीं इनके बच्चों को अमेरिका में डॉक्यूमेंटिड ड्रीमर्स कहा जाता है। हालांकि इन डॉक्यूमेंटिड ड्रीमर्स का भविष्य खतरें में है। यदि चिल्ड्रेन एक्ट कानून पास हो जाता है तो ठीक वरना इन डॉक्यूमेंटिड ड्रीमर्स को अमेरिका छोड़ना पड़ेगा।
क्या है चिल्ड्रेन एक्ट कानून
साल 2021 में अमेरिका की सांसद देबोरा रॉस, मेरिनेट मिलर, राजा कृष्णमूर्ति और यंग किम ने चिल्ड्रेन एक्ट अमेरिका की संसद में पेश किया था। इस एक्ट के तहत प्रावधान हैं कि जिन बच्चों के माता-पिता लॉन्ग टर्म वीजा पर अमेरिका में काम कर रहे हैं और वह बच्चे बीते 10 सालों से अमेरिका में कानूनी तौर पर रह रहे हैं। साथ ही वह किसी उच्च शिक्षण संस्थान से स्नातक हैं तो वह अमेरिका की नागरिकता पाने के अधिकारी होंगे।
साथ ही इस चिल्ड्रेन एक्ट में ये भी प्रावधान है कि जब ये डॉक्यूमेंटिड ड्रीमर्स अमेरिका की नागरिकता के लिए आवेदन करें तो उनकी आयु की गणना उस तारीख से की जाए, जिससे उन्होंने आवेदन किया है ना कि उस तारीख से जब उन्हें नागरिकता मिली। इस तरह ये युवा 21 साल का होने से पहले नागरिकता के लिए आवेदन कर देंगे तो उन्हें 21 साल का होने पर डिपॉर्ट होने का खतरा नहीं होगा।
डॉक्यूमेंटिड ड्रीमर्स को लग रहा डर
यही वजह है कि ये युवा अमेरिका की सरकार से मांग कर रहे हैं कि वह जल्द से जल्द अमेरिका का चिल्ड्रेन एक्ट पास करे ताकि उन्हें राहत मिल सके। वहां रह रहे कई डॉक्यूमेंटिड ड्रीमर्स को डर है कि 21 साल की आयु होने तक अगर चिल्ड्रेन एक्ट पास नहीं हुआ या उनके माता-पिता को अमेरिका की नागरिकता नहीं मिली तो उन्हें जबरन अमेरिका से निकाल दिया जाएगा।