डेस्क। आज देश पहले गृहमंत्री ‘लौहपुरुष’ सरदार बल्लभ भाई पटेल के जन्मदिन पर उनको याद कर रहा है। स्वर्गीय सरदार पटेल के जन्म दिन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर तमाम लोगों ने उनकी प्रतिमा पर पुष्प अर्पित किए। हमेशा जमीन से जुड़े रहे सरदार पटेल का जन्म 31 अक्टूबर को एक किसान परिवार में हुआ था। वह अपने पिता के साथ खेत में काम करते थे और महीने में दो बार दिनभर का व्रत रखते थे। इस तरह के त्याग ने उन्हें बचपन से ही मजबूत बनाने का काम किया। चूंकि वह खुद एक गरीब परिवार से आते थे, इसलिए शायद उनके मन में देश के गरीबों के लिए दर्द था। महात्मा गांधी के पंडित जवाहर लाल नेहरू के प्रति लगाव के बावजूद किसी भी कांग्रेस कमेटी ने 1946 में नेहरू का नाम अध्यक्ष पद के लिए प्रस्तावित नहीं किया। दूसरी ओर सरदार पटेल का नाम पूरे बहुमत के साथ प्रस्तावित किया गया। नेहरू ने साफ कर दिया कि वह किसी के मातहत काम नहीं करेंगे। गांधी जी को लगा कि कहीं नेहरू कांग्रेस को तोड़ न दें इससे अंग्रेजों को भारत को आजाद न करने का बहाना मिल सकता है। सरदार पटेल के मन में गांधी के लिए बेहद इज्जत थी, इसलिए उन्होंने अपना नामांकन वापस ले लिया। पटेल ने नवंबर 1950 में पंडित नेहरू को पत्र लिखकर भारत के उत्तर में चीन के संभावित खतरे के बारे में आगाह किया था। दुर्भाग्य से पंडित नेहरू ने इस ओर ज्यादा ध्यान नहीं दिया और अंत में 1962 में हमें चीन के आक्रमण को झेलना पड़ा। सरदार पटेल ने देश के गृहमंत्री के तौर पर महात्मा गांधी की हत्या और अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ हिंसा में कथित तौर पर शामिल होने के आरोप में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर प्रतिबंध लगा दिया। पटेल ने अगस्त 1948 में संघ के प्रमुख माधवराव सदाशिव गोलवरकर को पत्र लिखकर कहा, ‘संघ के सभी नेताओं के भाषण सांप्रदायिक जहर से भरे हुए थे। इनसे ऐसा माहौल बना कि इतना बड़ा हादसा हो गया । पटेल ने गोलवलकर को खत में लिखा था कि गांधीजी की मृत्यु पर आरएसएस के लोगों ने खुशी जाहिर की और मिठाइयां बांटीं।’