बीएसएनएल और एयर इंडिया के बाद अब डाक विभाग भी डूबने के कगार पर है। ताजा आंकड़ो के मुताबिक वर्ष 2019 में इंडिया पोस्ट का घाटा 15000 करोड़ रुपए तक पहुंच गया है। घाटे के मामले में इंडिया पोस्ट ने बीएसएनएल और एयर इंडिया को भी पीछे छोड़ दिया है। बीएसएनएल तकरीबन 8000 करोड़ रुपए के घाटे में हैं जबकि एयर इंडिया 5340 करोड़ रुपए के घाटे में है।
फाइनेंशियल एक्सप्रेस की खबर के अनुसार घाटे में चल रही अन्य कंपनियों की तरह इंडिया पोस्ट के फाइनेंसेज उच्च वेतन और भत्तों की वजह से काफी कम हो चुकी है. कंपनी के वेतन और भत्ते की लागत कंपनी की वार्षिक आय के 90 फीसदी से अधिक है.
केंद्रीय कर्मचारियों के वेतन में की जाने वाली बढ़ोतरी के चलते इंडिया पोस्ट में वेतन लगातार बढ़ रहा है, जिससे डाक सेवाओं से होने वाली आय में भी लगातार गिरावट आ रही है.
वित्त वर्ष 2018-2019 (संशोधित अनुमान) में इंडिया पोस्ट के वेतन और भत्ते की लागत 16,620 करोड़ रुपये है जबकि आय 18,000 करोड़ रुपये रही. अगर इसमें 9,782 करोड़ रुपये की पेंशन की लागत जोड़ दें तो कर्मचारी बीते वित्त वर्ष में अकेले कर्मचारी लागत ही 26,400 करोड़ रुपये हो जाएगी, जो कुल आय की तुलना में लगभग 50 फीसदी से अधिक है.
कंपनी का अनुमान है कि वित्त वर्ष 2020 में वेतन/भत्तों पर ख़र्च 17,451 करोड़ रुपये और पेंशन पर ख़र्च 10,271 करोड़ रुपये रहेगा. वहीं, इस दौरान आय सिर्फ 19,203 करोड़ रुपये रहने का अनुमान है. इससे स्पष्ट संकेत मिलते हैं कि स्थिति और खराब हो होगी.
सूत्रों का कहना है कि उत्पाद लागत और कीमत एवं पारंपरिक डाक सेवाओं की तुलना में अधिक सस्ते और तेज विकल्प मौजूद होने की वजह से इंडिया पोस्ट की परफॉर्मेंस सुधारने और इसकी आय बढ़ाने के प्रयास सफल नहीं हो रहे. इसके अलावा उत्पादों की कीमत बढ़ाने के अलावा कंपनी अपने 4.33 लाख कामगारों और 1.56 लाख पोस्ट ऑफिस के नेटवर्क के दम पर ई-कॉमर्स और अन्य वैल्यू एडेड सर्विसेस में संभावनाएं खंगाल सकती है.