देहरादून। उत्तराखंड अपनी शांत फिज़ाओं के लिए देशभर में मशहूर है लेकिन इस शांत वातावरण में पनप रहे नशे के कारोबार ने यहां के युवाओं को जंज़ीर में ऐसे जकड़ लिया है कि इसकी जकड़ से उन्हें छुड़ाना किसी जंग को जीत लेने से कम नहीं है। सर्दियों में युवाओं में नशे की डिमांड ज्यादा बढ़ने के चलते एसटीएफ ने इसे काबू करने के लिए पूरा खाका तैयार किया कि कैसे युवाओं को नशे की गिरफ्त से बचाया जा सके। दुनियाभर में अपने नैसर्गिक सौन्दर्य और शांत वातावरण के लिए उत्तराखंड राज्य अपनी अलग पहचान रखता है। लेकिन इस बात को भी नकारा नहीं जा सकता कि राज्य की राजधानी देहरादून में एजुकेशन हब और कॉलेज की भरभर के चलते यहां आने वाले युवाओं को नशे ने अपनी जंजीरों में ऐसे जकड़ लिया है कि युवाओं को इससे बाहर लाने के लिए पुलिस और एसटीएफ ने तमाम अभियान चलाकर नशे के सौदागरों को गिरफ्त में लिया है। एसटीएफ से मिले आंकड़ों के मुताबिक पिछले एक साल में एसटीएफ ने देहरादून के राजपुर, रायवाला, मुक्तेश्वर, और बॉडर्स पर चेकिंग अभियान से 12 किलो चरस और लगभग 5 किलो गांजा बरामद किया है। जिसकी अंतराष्ट्रीय बाज़ार में लाखों की कीमत है। एसटीएफ की एसएसपी भी इस बात को मान रही है कि सर्दियों में नशे और ड्रग्स वाले इलाकों में हलचल तेज़ हो जाती है। लिहाज़ा इन दिनों नशे के नेटवर्कों को नेस्ता नाबूद करने के लिए अतिरिक्त सतर्कता बरती जा रही है। स्कूल, कॉलेज में बढ़ते नशे के कारोबार को थामने के लिए भी अभियान चलाए जा रहे है। डीएवी कॉलेज के प्राचार्य की माने तो कॉलेज प्रशासन की तरफ से नशे को लेकर पैनी नज़र रखी जा रही है और इस बात का भी ध्यान रखा जा रहा है कि नशे की गिरफ्त में युवा न पड़े। उत्तराखंड की शांत वादियों में पैर पसारे नशे ने अपनी जड़ों को मजबूत कर लिया है जिन्हें जड़ से उखाड़ने के लिए पुलिस और एसटीएफ तमाम तरीको का इस्तमाल कर युवाओं को नशे की गिरफ्त में जाने से बचा रहा है और इसमें एसटीएफ को कामयाबी भी मिली है। लेकिन नशे के कुछ पेड़ ही खत्म हो पाए है जड़े अभी भी ज़मीन में गड़ी है जिन्हें नेस्ता नाबूद करना बाकी है।