देहरादून- उत्तराखंड के छह सीमावर्ती जिलों के मूल निवासी पुलिसकर्मियों को गृह जनपद में तैनाती देने के निर्णय से पहाड़ों से पलायन रोकने की दिशा में राज्य सरकार की उम्मीदें बढ़ी हैं।
दरअसल, इससे चीन और नेपाल की सीमा से सटे इलाकों में आंतरिक सुरक्षा की स्थिति भी मजबूत हुई है। साथ ही वह पुलिसकर्मी भी अब पहाड़ चढऩे को राजी होने लगे हैं, जो मैदानी जिलों में ही तैनाती पाने की जुगत लगाते रहते थे। गौरतलब है उत्तराखंड की सीमा चीन और नेपाल से सटी हुई है। इसकी वजह से सीमावर्ती छह जिले हमेशा संवेदनशील रहते हैं। चिंता की बात यह है कि मौजूदा समय में दर्जनों की संख्या में ऐसे गांव हैं, जो वीरान हो चुके हैं।
आंतरिक सुरक्षा को इसे देखते हुए तकरीबन छह महीने पहले सरकार ने सीमावर्ती जिलों के मूल निवासी पुलिस कांस्टेबल को उनके गृह जनपद में तैनाती देने का निर्णय लिया था। विभागीय सूत्रों की मानें तो गढ़वाल और कुमाऊं रेंज कार्यालय ने ऐसे पुलिसकर्मियों से आवेदन भी मांगें हैं, जो गृह जनपद में तैनात होना चाहते हैं।
दुर्गम इलाकों में सुरक्षा व्यवस्था मजबूत करने के लिए पौड़ी के थाना थलीसैंण, पैठाणी व रिपोर्टिंग चौकी पाबो की स्थापना के साथ देहरादून के त्यूणी और चकराता थाने के विस्तारीकरण की अधिसूचना जारी की जा चुकी है। इसके अलावा मुक्तेश्वर, भवाली, अल्मोड़ा, भतरौजखान, लमगड़ा और सोमेश्वर और रिपोर्टिंग चौकी खैरना का भी विस्तारीकरण किया है।