ब्यूरो- उत्तराखंड में हाथी के पैरों तले पहले बार सियासी जमीन गायब हो गई हैं। आलम ये है कि जब से उत्तराखंड राज्य बना है तब से ये पहला चुनाव है जब उत्तराखंड के सियासी गलियारे में बसपा का हाथी घूमा तो जरूर है लेकिन उसका कोई भी सवार इस बार विधानसभा में दस्तक न दे सका।
जबकि 2002 के पहले आम चुनाव में उत्तराखंड विधानसभा में बसपा के 7 उम्मीदवारों ने जीत हासिल की थी। 2007 मे बसपा के 8 उम्मीदवारो ने जीत हासिल की। वहीं 2012 के चुनाव में बसपा के तीन उम्मीदवार विधानसभा पहुंचे। बावजूद इसके 2017 के विधानसभा में मोदी की ऐसी सुनामी चली की बसपा और यूकेडी का सूपड़ा ही साफ हो गया। इस विधानसभा चुनाव में बसपा के हाथी का पता ही नहीं चला।