देहरादून- पहाड़ी क्षेत्र में जरा सी बारिश बहुत नुकसान करती है. पहाड़ दरकने, मलबा आने के साथ कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है. लेकिन क्या आपको पता है कि उत्तराखंड के अधिकांश शहर पौन घंटे भी तेज बारिश का दबाव झेलने की स्थिति में नहीं हैं।
जैसा की सब जानते हैं राज्य गठन के 18 साल गुजर गए हैं. जिसके बाद आज तक शहरों में जल निकासी का ठोस इंतजाम नहीं हो पाया है। प्लॉस्टिक कचरे से पटी नालियों से हालात बदतर होते जा रहे हैं। जल निकासी की बदतर स्थिति सिर्फ राज्य के दूसरे छोटे शहरों की ही नहीं है, बल्कि देहरादून, हरिद्वार, नैनीताल जैसे शहरों में भी हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं। .
देहरादून के अधिकतर हिस्सों में ही हल्की बारिश में ड्रेनेज सिस्टम पूरी तरह चोक हो जाता है। कई इलाके तो ऐसे हैं, जहां 15 मिनट की तेज बारिश से ही सड़कें तालाब में तब्दील हो जाती है। गजब स्थिति ये है कि राजधानी के केंद्र घंटाघर, प्रिंस चौक, सुभाष रोड जैसे स्थानों में ही अकसर हालात खराब हो जाते हैं।
प्रिंस चौक से सहारनपुर चौक और घंटाघर जाते समय मानों हम सड़क पर नहीं तालाब में चल रहे हो.
हरिद्वार शहर की स्थिति भी जल निकासी के मामले में खराब है। नैनीताल में तो तेज बारिश में बरसाती पानी के साथ मिट्टी, रेत, गाद के ढेर से माल रोड तक पट जाती है। इसके लिए बेहतर ड्रेनेज सिस्टम न होने के साथ ही प्लॉस्टिक कचरे से पटी नालियां भी जिम्मेदार हैं। समय पर सफाई न होने से नालियों की यही गंदगी पूरे ड्रेनेज सिस्टम को चोक कर रही है।.