हर किसान यही उम्मीद लेकर खेतों में जी तोड़ मेहनत करता है कि फसल की अच्छी पैदावार होगी औऱ उसे मुनाफा होगा लेकिन देश भर के किसा पैदावार अभिशाप बन गया है। किसानों के हित की बात करने वाली सरकार के दावों को पोल खुलती दिख रही है. किसानों की आर्थिक स्थिति में कोई सुधार होता नहीं दिख रहा है। आलम ये है कि किसानों को उनके पैदावार की लागत तक नहीं मिल पा रही है। प्याज की बंपर पैदावार के बावजूद देश भर के किसानों की आंखों से आंसू निकल रहा है। देश भर के बड़े थोक प्याज मंडियों में प्याज 50 पैसे प्रतिकिलो से लेकर 3 रुपये प्रति किलो तक बिक रहा है।
महाराष्ट्र के नासिक स्थित प्याज की देश की सबसे बड़ी थोक मंडी लासलगांव एग्रीकल्चर प्रॉडक्ट मार्केट में प्याज का भाव किसानों को खून के आंसू रुला रहा है। बाजार में करीब 20 रुपये किलो बिक रहे प्याज को यहां पर किसान 50 पैसे से लेकर 3 रुपये प्रति किलो तक में बेचने को मजबूर हैं। इससे किसानों की लागत तो छोड़िए, ट्रांसपोर्ट का खर्च भी नहीं निकाल पा रहा है। वहीं यही प्याज आम लोगों को 20 रुपये प्रति किलो के आसपास मिल रहा है।
किसानों का कहना है कि इतना कम दाम मिलेगा तो किसान कैसे अपनी आजीविका चलाएंगे. किसानका कहना है कि हमें लाभ नहीं मिल रहा है तो कम से कम हमारा खर्च तो निकलना चाहिए। प्याज किसान लगातार सरकार को प्याज के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य 20 रुपये घोषित करने की मांग कर रहे हैं।